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'कार्तिक पूर्णिमा' और 'गुरु नानक जयंती' पर्व की ये महत्वता किस-किस ने जानी, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने क्या लिखा खास देखिए

उत्तर नारी डेस्क 

आज दो त्यौहार एक साथ है यानी 'कार्तिक पूर्णिमा' आस्था का महापर्व, दूसरी तरफ सदाचार, सच्चाई व मानवता के प्रतीक, सिख धर्म के प्रवर्तक 'गुरु नानक देव जी' की जयंती दोनों ही त्यौहार का अपना अपना एक विशेष महत्व है। 

'कार्तिक पूर्णिमा' के इस अवसर पर गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की संध्या पर भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार हुआ था। दूसरी मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन महादेव ने त्रिपुरासुर का वध भी किया था। 

जिससे सभी देवतागण बहुत प्रसन्न हुए थे और भगवान विष्णु ने महादेव को त्रिपुरारी नाम दिया और यह तिथि त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से जानी गई। लेकिन कोविड-19 के दृष्टिगत तथा सभी के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए गंगा स्नान पर रोक लगानी पड़ी। हालांकि हरिद्वार में बाहरी श्रद्धालुओं पर पाबंदी लगाने से तीर्थ नगरी के गंगा घाटों पर सीमित भीड़ दिखाई दी।

मुख्यमंत्री द्वारा भी एक पोस्ट साझा कर सभी को कातिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं दी। और कहा की मेरा सभी से विनम्र निवेदन है कि इस बार गंगा में स्नान करने के बजाय हम सब अपने-अपने घरों पर ही मां गंगा का स्मरण कर पुण्य लाभ कमाएं। पतित पावनी मां गंगा से आप सभी की सुख-समृद्धि की कामना करता हूं। जय मां गंगे!  आप सभी को ।

 


तो वहीं सदाचार, सच्चाई व मानवता के प्रतीक, सिख धर्म के प्रवर्तक 'गुरु नानक देव जी' की जयंती पर भी मुख्यमंत्री ने कहा की उन्हें कोटिशः नमन तथा आप सभी को गुरु पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। वाहेगुरु! 

बता दें, उत्तराखंड के ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों में से एक पवित्र गुरुद्वारा श्री नानकमत्ता साहिब सिखों के प्रथम गुरुनानक देव जी की तपोस्थली है। वे अपने शिष्य भाई मरदाना जी के साथ तीसरी उदासी में यहां आए थे। नानक देव जी की तपोभूमि नानकमत्ता साहिब में हर साल विश्व भर से श्रद्धालु शीश नवाने आते हैं।


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