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कुछ ऐसी दिखी, कोटद्वार में लोक पर्व " इगास" की धूम..

उत्तर नारी डेस्क 

कोटद्वार : उत्तराखण्ड का लोक पर्व इगास पूरे प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। बग्वाल (दीपावली) के ठीक 11वें दिन बाद में इगास पर्व मनाया जाता है। पहाड़ की दीपावली इगास में लक्ष्मी पूजन के साथ ही गायों की पूजा की जाती है।

 इस पर्व की खास बात यह है कि आतिशबाजी करने के बजाय लोग रात के समय पारंपरिक भैलो खेलते हैं। बता दें, कि गढ़वाल के वीर माधव सिंह भंडारी के तिब्बत विजय पर इगास मनाया जाता है। कहा जाता है कि दीपावली के ठीक 11वें दिन बाद माधव सिंह भंडारी अपनी सेना के साथ तिब्बत विजय कर लौटे थे। जैसे लोगों को यह जानकारी प्राप्त हुई कि माधो सिंह भंडारी तिब्बत विजय कर वापस आए हैं तो उनके विजय की खुशी में इगास का पर्व पूरे गढ़वाल में मनाया गया।

उत्तराखण्ड की संस्कृति से इगास पर्व धीरे-धीरे लुप्त होने लगा था। उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने इस पर्व को जीवित रखने का बीड़ा उठाया और पिछले वर्ष उन्होंने उत्तराखण्ड के लोगों से इगास मनाने का आह्वान किया। इस वर्ष कोरोना के चलते उन्होंने उत्तराखण्ड के लोगों से आह्वान किया कि जो व्यक्ति जहां है वहीं पर इसका पर्व को धूमधाम से मनाए।

उन्हीं के आह्वान पर आज उनकी राजनीतिक कर्मभूमि कोटद्वार में कोटद्वार वासियों ने झंडा चौक में बड़े धूमधाम से इगास पर्व मनाया। लकड़ी के भैलो बनाकर उसे जलाकर घूमाया और ढोल दमाऊ की थाप पर नाचते हुए एक दूसरे को बधाई दी।



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