उत्तर नारी डेस्क
उधम सिंह नगर पूर्व दर्जा राज्य मंत्री डॉ० गणेश उपाध्याय ने कहा कि पूरे देश में किसान आंदोलन चरम सीमा पर पहुंच चुका है और कृषि कानूनों से त्रस्त किसान सड़कों पर आकर आंदोलन कर रहा है। मोदी सरकार के किसान हितैषी होने की पोल खुल चुकी है, अन्नदाता अपनी फसल का मूल्य की गारंटी मांग रहा है और मोदी सरकार ने पुलिस फोर्स लगाकर उन्हे जेल में ठूंसने की तैयारी कर रही है।
उत्तराखंड सरकार के खिलाफ उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड के आदेश की अवमानना का केस दायर है और सरकार के कानों पर जूं तक नही रेग रही है। भाजपा सरकार अन्नदाताओं को लुटवाकर मात्र उद्योगपतियों की तिजोरियां भरना चाहती है। सरकार 48 घंटे में किसान की फसल के भुगतान ही ढ़ीगें मारती है, वही देश के प्रधानमंत्री के नवरत्नों में से एक रत्न उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र रावत नैनीताल हाईकोर्ट के खंडपीठ में लिखित तौर पर दिया है किसानों का भुगतान 48 घंटे से लेकर 1 हफ्ते के अंदर करेंगे, आज 46 दिन हो गया है।
450 करोड़ पर सरकारी खरीद का भुगतान व 1200 करोड़ रुपए का कच्चा आरती व राइस मिलर द्वारा होना बाकी है। इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा। इसके साथ किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर सता रहा है। तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए। क्योंकि कृषि के निजीकरण को प्रोत्साहन देने वाले हैं। इनसे बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा।
बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण किया जा रहा है। इससे किसानों को सब्सिडी व फ्री बिजली सप्लाई की सुविधा खत्म हो जाएगी। किसान अपने पसीने से सींची फसल की कीमत मांग रहे हैं पर केन्द्र सरकार अन्नदाता के साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार कर रही है।