उत्तर नारी डेस्क
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आज यानी बुधवार को कुंभ नगरी हरिद्वार पहुंचे। जहां उन्होंने गंगा स्नान किया। साथ ही हरीश रावत ने हरिद्वार में काली मंदिर चंडीघाट हरिद्वार में महंत कैलाश आनंद महाराज से ऒर महंत हठयोगी महाराज ऒर जूना अखाड़े के संत महात्माओं से मुलाक़ात की। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कुंभ के आयोजन को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार को घेरे में लिया है।
साथ ही कुंभ मेले की उपेक्षा से दुखी होकर डबल इंजन की सरकार पर फेसबुक पोस्ट शेयर कर लिखा कि मैं, कुंभ क्षेत्र का विस्तारीकरण न किये जाने, कुंभ के दौरान स्नान की अवधि घटाये जाने और पर्वो की संख्या बढ़ाने के बजाय घटाने को लेकर मन दु:खी है। बड़ी उम्मीदें थी डबल इंजन की सरकार से कि हरिद्वार में कुंभ के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुये स्थाई विकास कार्यों की श्रृंखला प्रारंभ हो जायेगी। लक्सर से लेकर देवप्रयाग तक हमारे समय विस्तारित कुंभ क्षेत्र का विकास लालायित नजरों से इस कुंभ की प्रतीक्षा कर रहा था सबको उपेक्षा झेलनी पड़ी है। मैं, माँ गंगा के दरबार में अपनी प्रार्थना, अपनी पुकार को पहुंचाने के लिये पहुंचा हूं और साधु-संतों, अखाड़ों जो हमारे कुंभ के संरक्षक हैं मैं, उनके दरबार में भी माथा टेकने के लिये गया हूं और अपने मन के गिले-शिकवे, संभव हुआ तो रखूंगा।
बताते चलें कि ऐसा कर वे केंद्र और राज्य की सरकार को यह संदेश देना चाहते हैं कि कुंभ की उपेक्षा सहन नहीं की जाएगी। संत ही कुंभ के असली संरक्षक हैं। हरीश रावत ने 24 जनवरी को हरिद्वार में साधु संतों के बीच में जाने का एलान किया था। हालंकि कुछ कारणों के चलते उनका यह कार्यक्रम स्थगित हो गया था।