उत्तर नारी डेस्क
हरिद्वार दुनिया भर के हिंदुओं की आस्था का केंद्र है और आस्था के इस केंद्र की धुरी है। कहा जाता है कि समुद्र मंथन के बाद हरकी पैड़ी में अमृत की बूंदें छलकी थीं। इसलिए हर 12 साल में यहां पर कुंभ का मेला लगता है। मान्यता यह भी है कि भगवान शंकर के चरण यहीं पड़े थे और यही चरण फ़िर एक बार चर्चा का विषय बन गया।जी हाँ हरिद्वार में ब्रह्मकुण्ड हरकी पैड़ी पर जलमग्न सीढ़ियों पर एक अदभुत पदचिन्ह मिला है, जो लोगों में चर्चाओं का विषय बना गया है। जानकारी के अनुसार, कई लोगों ने पदचिन्ह को हाथ से मिटाने का प्रयास भी किया। लेकिन पद चिन्ह ज्यों का त्यो बना है। इन्ही चिन्हो को देखने के लिए हरकी पैड़ी पर लोगों का तांता लगा हुआ है।
बताते चलें, तीर्थ पुरोहितों को गुरुवार सुबह हरकी पैड़ी के ब्रह्मकुंड के पास सीढ़ियों पर एक आकृति नजर आई। जब तीर्थ पुरोहितों ने गौर से देखा गंगा में डूबी सीढ़ियों पर एक पैर का निशान उभरा हुआ था। वहीं, श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा फिलहाल पदचिन्ह की जांच की जा रही है। कई बार काई के ऊपर भी पदचिन्ह बन जाते है। लेकिन हरकी पैड़ी एक सिद्ध स्थान भी है, इसलिए पूरी जांच के बाद ही पदचिन्ह को लेकर स्थिति साफ हो पाएगी।
हालंकि श्रद्धांलुओं के लिए कुम्भ से पहले हरकी पैड़ी में पदचिन्हो का होना किसी चमत्कार से कम नहीं क्यूंकि यही हरकी पैड़ी सभी हिन्दुओं के लिए एक पवित्र स्थान है।