उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड में आगामी विधानसभा चुनाव 2020 का असर साफ तौर पर देखा जा रहा है। उत्तराखण्ड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सभी पार्टियों के बीच खासा उत्साह नजर आ रहा है। अगर बात करें कांग्रेस पार्टी की तो कांग्रेस पार्टी भी 2022 के चुनावों को लेकर मैदान में उतर चुकी है। मगर इसी बीच कांग्रेस पार्टी और उत्तराखण्ड की तमाम पार्टियों को एक बड़ा झटका लगा है। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने एक चौंका देने वाला बयान दिया है जिसके बाद से उत्तराखण्ड के सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। हाल ही में पिथौरागढ़ के दौरे पर पहुंचे उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि वे आने वाले 2022 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि 2021 में वो खुद चुनाव ना लड़कर कांग्रेसी उम्मीदवारों की जीत के लिए प्रचार करना चाहते हैं। रावत ने कहा कि राज्य में जब भी उन्होंने चुनाव की बागडोर संभाली है तो कांग्रेस को बेहतर सफलता मिली है। वहीं रावत का कहना है कि अगर मैं खुद चुनाव लडूंगा तो एक सीट पर ही सीमित हो जाऊंगा। जबकि मुझे इस बार के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करना है।
बता दें कि काफी समय से यह प्रश्न उठ रहा था कि आखिरकार कांग्रेस पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में किसको सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करेगी। अब आखिरकार यह तो तय हो गया है कि हरदा आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगे और उनकी सन्यास वाली बात आखिरकार सच साबित हुई। हरदा ने स्वयं यह कहा है कि कांग्रेस में आगामी चुनावों में सीएम के पद पर वे उम्मीदवार नहीं होंगे।
हरीश रावत ने बताया कि 2002 में और 2012 दोनों ही चुनाव में कांग्रेस को काफी लाभ मिला है और इसीलिए उन्होंने कहा कि वे एक सीट पर केंद्रित होने के बजाय चुनाव की कमान अपने पास रखना चाहते हैं ताकि उत्तराखण्ड में कांग्रेस बहुमत से वापस आ सके। इस के अलावा हरीश रावत पिथौरागढ़ के दौरे के दौरान कांग्रेस के 100 साल पुराने कार्यालय हुड़ेती पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस का 100 साल पहले का यह दफ्तर आजादी के आंदोलन का केंद्र बिंदु हुआ करता था और इसी दफ्तर से स्वतंत्रता की लड़ाई के साथ ही कुली बेगार आंदोलन के खिलाफ भी मोर्चा छेड़ा गया था।