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उत्तराखण्ड में चाय बेचकर गुजारा करती हैं सीएम योगी आदित्यनाथ की बहन, भाई से की खास गुजारिश

उत्तर नारी डेस्क   

आपने कही बाऱ देखा या सुना होगा कि ज़ब कोई राजनिति में उतरता है तो वह किसी भी सुख-सुविधा से वंचित नहीं रहता। वह समाज में अपना रुतबा कायम करने और रौब जमाने से भी कभी नहीं चूकता और इसी के साथ अपने परिवार वालों को भी वह पूरी सुख-सुविधा देता है। परन्तु कभी कभी कुछ ऐसे नेता भी राजनिति मे होते है जो समाज सेवा और देश प्रेम में इतने लीन हो जाते हैं कि वें अपने परिवार को भी त्याग देते हैं। साथ ही उनका जीवन भी सादगी से भरा हुआ होता है। उनका परिवार भी उसी सादगी से रहता है। जी हां आज हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जो स्वयं तो सादगी से रहते ही है लेकिन इसी के साथ उनका भी परिवार बेहद सादगी से रह रहा है।

चलिए आपको आज हम बताते है यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की बहन के बारे में जो चाय बेचकर अपना गुजारा कर रही है। जी हां आपको बता दें कि योगी आदित्यनाथ की बहन शशि देवी तीर्थ नगरी ऋषिकेश में चाय की दुकान चलाती हैं और उनकी  तीर्थनगरी ऋषिकेश में चाय की दो दुकानें है पौड़ी के कोठार गांव की रहने वाली शशि देवी सीएम योगी की बहन है। जो शादी के बाद भी एकदम साधारण जीवन व्यतीत कर रही हैं। वह कहती है कि भले ही उनके लिए उनका भाई कुछ करें या ना करें लेकिन पहाड़ की जनता के लिए कुछ अच्छा करें और पहाड़ों की किस्मत सवार दें। 

शशि देवी का कहना है कि वह अपने भाई को बहुत प्यार करती हैं लेकिन उसने मिलना नहीं हो पाता। जब उन्हें पता लगा कि उनका भाई योगी बन गया है तो वे हर साधु में भाई को देखा करती थीं। इसी के साथ वह अपने भाई आदित्यनाथ से गुजारिश भी करती नजर आयी। वें कहती है कि भाई योगी आदित्यनाथ आप पहाड़ों की किस्मत भी संवारें और उत्तराखण्ड को एक नए मुकाम पर लेकर जाए। शशि देवी एक मिसाल के तौर पर समाज के आगे सामने आई हैं। आज भी वे एक आम इंसान की तरह अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं जो कि बेहद सराहनीय है। 

आपको बता दें कि शशि देवी का ससुराल ऋषिकेश में है। इनके पति पूरन सिंह पयाल पूर्व ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। इसके साथ ही नीलकंठ मंदिर के पास इनका एक लॉज भी है साथ ही उनकी ऋषिकेश में दो दुकाने भी है जिनमें से एक दुकान नीलकंठ मंदिर के पास है तो दूसरी भुवनेश्वरी मंदिर (पार्वती मंदिर) के पास है। इन दुकानों में चाय, पकौड़ी और प्रसाद मिलता है। उनका कहना है कि वे अपने भाई से उत्तराखण्ड का भी भला चाहती हैं। वे कहती हैं कि उनका भाई उनके लिए कुछ या न करे, लेकिन पहाड़ की जनता के लिए कुछ अच्छा जरूर करें। 

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