उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के पहाड़ों की बदतर और बेहाल स्वास्थ्य सेवाओं से हर कोई वाक़िफ़ है। अब अस्पताल जान देने वाले नहीं, जान लेने वाले बनते जा रहे हैं। पहाड़ों की कई बेकसूर गर्भवती महिलाओं को बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। आखिर इन बेकसूर महिलाओं की जान की जिम्मेदारी किसकी है। सवाल यह है कि आखिर पहाड़ों पर विकास के नाम पर अब तक ढोंग क्यों किया जा रहा है। आपको बता दें कि बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दर्शाती शर्मनाक ख़बर रुद्रप्रयाग जनपद से सामने आई है। जहां, जिला अस्पताल में नर्स के तौर पर कार्यरत एक गर्भवती महिला स्वास्थ्य प्रशासन की लापरवाही के कारण अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठी है। सोचिए जिस महिला ने अब तक कई ज़िंदगियों को बचाने में अपना योगदान दिया हो उसी महिला को बदतर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़े तो इससे अधिक शर्मनाक और क्या होगा?
आपको बता दें कि, रुद्रप्रयाग जनपद के गुप्तकाशी क्षेत्र की निवासी 28 वर्षीय निधि रगडवाल( पत्नी दीपक रगडवाल ) महादेव मंदिर रुद्रप्रयाग जिला अस्पताल के आयुर्वेदिक पंचकर्म में नर्स थी। निधि का पहले से ही एक बच्चा है और उसका दूसरा बच्चा होने वाला था जिसको लेकर परिवार में सभी लोग बेहद खुश और उत्साहित थे। वहीं, बीते शुक्रवार को निधि को प्रसव पीड़ा होने लगी जिसके बाद उसको लेकर
परिजन जिला अस्पताल पहुंचे, जहां सुबह 11 बजे निधि को भर्ती करवाया गया और शाम को 4:15 पर निधि की डिलीवरी हुई। स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के बाद निधि का रक्तस्त्राव बंद नहीं हुआ। 2 घंटे तक डॉक्टर संसाधनों की कमी में निधि को बचाने का व्यर्थ प्रयास करते रहे और 2 घंटे तक निधि जीवन और मौत से लड़ती रही लेकिन उसका रक्तस्त्राव बंद नहीं हुआ। इसके बाद डॉक्टरों ने हार मानकर उसको हायर सेंटर रेफर कर दिया। बेस अस्पताल पहुंचने के बीच दर्द से तड़पती हुई निधि को अपनी जान देकर बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कीमत चुकानी पड़ी। जिसके बाद से परिजनों के बीच में कोहराम मचा हुआ है।
रुद्रप्रयाग जिला चिकित्सालय में इस केस को देख रहे डॉ दिग्विजय सिंह रावत का कहना है कि महिला की नॉर्मल डिलीवरी हुई और डिलीवरी सक्सेसफुल भी हो गई, मगर महिला की ब्लीडिंग बंद नहीं हुई और संसाधनों की कमी के कारण जिला अस्पताल में महिला को सही इलाज़ नहीं मिल पाया था। जिसके बाद उसको हायर सेंटर रेफर किया गया मगर रास्ते में ही महिला ने दम तोड़ दिया। उन्होंने बताया है कि महिला की ब्लीडिंग इतनी ज्यादा हो गई थी कि उनको बचाना नामुमकिन था। कहने को तो यह महज घटना थी जिसकी शिकार निधि हुई मगर बदतर और बेहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण अब तक पहाड़ों पर ऐसे कई निधियों की जान की भेंट चढ़ चुकी है। ऐसी शर्मनाक घटनाओं के बाद भी नेताओं की नींद नहीं टूट रही है। अगर इस विषय में जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो आगे भी और कई गर्भवती महिलाओं को अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ेगी और तब भी तमाम जनप्रतिनिधि, सरकारी अधिकारी और नेता चुप्पी साध कर बैठे रहेंगे।