उत्तर नारी डेस्क
देवभूमि उत्तराखण्ड अपने धार्मिक पर्यटन के कारण देशभर में प्रसिद्ध है। यहां की खूबसूरती और सांस्कृतिक सभ्यता पर्यटकों को यहां खींच लाती है।
यहां की लोककथाएं भी अपने आप में एक रहस्य छुपा कर रखती है। परन्तु क्या आपको पता है कि इंडिया नाम से संबोधित हमारा देश भारत अथवा भारतवर्ष का उद्गम कहां से हुआ है। भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम का क्या इतिहास है ? इस नाम का सम्बन्ध सम्राट भरत से किस तरह है? तो आपको खंगालने पर मिलेगा कि यह पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार शहर में बसे ऐतिहासिक स्थल एवं राष्ट्रीय धरोहर "कण्वाश्रम" जो कि कई आयामों में राष्ट्र की अनुपम धरोहर है वह आज गुमनामी एवं असुविधाओं के संकट में पड़ा हुआ है।
आपको बता दें कण्वाश्रम, जो किसी काल में एक समृद्ध गुरुकुल था, वह आज एक छोटा सा आश्रम है। भारतवर्ष को अपना नाम देने वाले सम्राट भरत की जन्मस्थली से लेकर महाकवि कालिदास की अमर कृति "अभिज्ञान शाकुंतलम" में दुष्यंत-शकुंतला प्रणय स्थली के साथ साथ कण्वाश्रम अपने काल में विश्व का सबसे बड़ा शिक्षण संस्थान भी रहा है। महर्षि कण्व की इस तपोस्थली में लगभग 10 हज़ार से अधिक विद्यार्थी एक साथ अध्ययन करते थे एवं यह अपने समय का सबसे बड़ा गुरुकुल/विश्वविद्यालय हुआ करता था।
1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री प.जवाहरलाल नेहरू द्वारा अपनी रूस यात्रा पर "अभिज्ञान शाकुंलतम" नृत्य नाटिका देखने के पश्चात भारत लौटते ही कण्वाश्रम की खोज एवं उसके जीर्णोद्धार हेतु कार्य शुरू किया गया। 2018 में प्रदेश के तत्कालीन पर्यटन मंत्री द्वारा इस स्थल को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की घोषणा भी की जा चुकी है। इसके साथ ही वर्ष 2010 में जब उक्त स्थल से करीब 13वीं सदी की चामुंडा देवी की पत्थर की मूर्ति के मंदिर के अलंकृत प्रस्तर खंड, छोटे स्तंभ आदि मिले थे। साथ ही 2017 में आई बाढ़ से उक्त स्थल एवं उसके आस पास कई स्थानों पर कई प्राचीन एवं बेशकीमती मूर्तियाँ स्थानीय लोगों को प्राप्त हुई थीं, जो इस स्थल की महान ऐतिहासिकता पर मुहर लगाती हैं। परन्तु आज तक यह ऐतिहासिक स्थल गुमनामी के साए में दबा पड़ा है। आज भी यहां सुविधाओं एवं पर्यटन की स्थिति शून्य बनी हुई है जिसके अपने अपने परिपेक्ष में कई कारण हैं।
इन्हीं सब कथनों पर विचार करते हुए UKDD के केंद्रीय प्रवक्ता रोहित डंडरियाल ने कण्वाश्रम के बचाव हेतु राष्ट्र की इस अनुपम धरोहर के समग्र विकास एवं इसके अस्तित्व को विश्व के समक्ष उजागर करने हेतु श्रीमती वी.विद्यावती, IAS महानिदेशक भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण को पत्र लिखा है। जहां उन्होंने शीघ्र ही उक्त स्थल पर ASI द्वारा आर्किलोजिकल सर्वे किये जाने की योजना का कार्य आरंभ किये जाने एवं साथ ही उक्त स्थल से मिलने वाले बेशकीमती एवं प्राचीन मूर्तियों/स्तम्भों एवं अन्य सामग्रियों के संरक्षण हेतु एक म्यूज़ियम का निर्माण भी किए जाने की मांग की है। जिससे "कण्वाश्रम" की महान ऐतिहासिकता से सम्पूर्ण राष्ट्र एवं विश्व परिचित हो सके।