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उत्तराखण्ड : हरदा रमेश पोखरियाल निशंक के इस्तीफे से हुए दु:खी, कहा- मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझसे कुछ छीन लिया हो

उत्तर नारी डेस्क 

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली दफा है जब मंत्री परिषद में फैरबदल हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिपरिषद का विस्तार का कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में बुधवार को पूरा हुआ। मंत्रिपरिषद विस्तार में कुल 43 मंत्री शामिल किए गए हैं जिनमें 15 मंत्री कैबिनेट स्तर के और 28 राज्य मंत्री बनाए गए हैं। कई नए चेहरों की मंत्रिमंडल में इंटरव्यू में एंट्री हुई है तो वही कई नेताओं ने सशक्त शपथ ग्रह ग्रहण समारोह शुरू होने से पहले मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं आपको बता दें कि उत्तराखण्ड की नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट से सांसद अजय भट्ट को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है, तो वहीं हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को मोदी कैबिनेट से बाहर किया है। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक मोदी सरकार में केंद्रीय शिक्षा मंत्री थे। निशंक के इस्तीफे की वजह से उनका बिगड़ा स्वास्थ्य बताया जा रहा है। निशंक के इस्तीफे पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी प्रतिक्रिया दी है। 

हरीश रावत ने निशंक के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि राजनीति में पद आते हैं और पद छिनते भी हैं। मगर कुछ लोगों से पद का छिन जाना, गहरी व्यथा देता है। डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी, राज्य के भूतपूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री पद सुशोभित कर चुके, एक ऐसे व्यक्ति हैं जो ग्रामीण परिवेश से आते है। 

हरदा ने आगे लिखा कि डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक एकदम सामान्य पर्वतीय घर से निकलकर देश के मानव संसाधन मंत्री बने। जब वो मानव संसाधन मंत्री बने तब भी मुझे बेहद प्रसन्नता हुई और मैंने अपनी खुशी जाहिर की। क्योंकि उत्तराखण्ड छोटा राज्य है, अब हमारे लिए राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करने वाले गोविंद बल्लभ पंत देना संभव नहीं है, न हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी देना संभव है। मगर निशंक मानव संसाधन मंत्री बने, यह एक बड़ी उपलब्धि थी। हम राजनैतिक प्रतिद्वंदी हैं, मुझे हरिद्वार से बेदखल करने के लिए निशंक हमेशा प्रयासरत रहे। मगर जिस समय सामूहिक गौरव की बात आती है तो उस समय ये सब बातें व्यक्तिगत राग-द्वेष, झगड़े राजनैतिक प्रतिस्पर्धाएं गौण होता जाती हैं। 

जब निशंक के इस्तीफे का समाचार आया तो मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझसे कुछ छीन लिया हो। निशंक स्वस्थ रहें और जब यहां तक उन्होंने अवसर बनाया है तो वो आगे भी अवसर बना सकने की क्षमता रखते हैं, इसका मुझे विश्वास है। वो जन्म से ब्राह्मण हैं इसलिए मैं आशीर्वाद तो नहीं दे सकता, मगर मैं इच्छा प्रकट कर सकता हूंँ कि ऐसा हो।

बता दें कि निशंक और हरीश रावत की प्रतिद्वंदिता पुरानी है। जब निशंक राज्य की राजनीति में थे तो दोनों के वार-पलटवार सुर्खियों में रहते थे। निशंक जब केंद्र में गए तो तब भी सोशल मीडिया पर दोनों का शीतयुद्ध साफ दिखता था।

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