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कविता : आज़ादी का मतलब क्या है?, कवि : सुभाष तराण

सुभाष तराण

आज़ादी का मतलब क्या है? 

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जिन लोगों की भूख बड़ी है, जिन लोगों का पेट भरा है

जिनके आगे सिस्टम सारा चादर जैसा बिछा पड़ा है 


जिन लोगों के लिए आदमी वोट से ज्यादा कुछ भी नहीं है 

जिन लोगों के लिए व्यवस्था नोट से ज्यादा कुछ भी नहीं है 


जिनके पास है सुख सुविधाएँ, जिनका सपना बहुत बड़ा है

हमको वो क्या बतलाएंगे, आज़ादी का मतलब क्या है? 


आज़ादी का मतलब  हमको तोप नहीं समझा पाएगी 

आज़ादी क्या होती है, ये बंदूक नहीं बतला पाएगी 


आज़ादी पर पूँजी उपासक की राय पे मत जाना 

उसका एक ही मकसद है, सारी दुनिया को कब्जाना 


चिड़ियाघर का शेर तुम्हें आज़ादी क्या समझाएगा 

जिसके गले मे रस्सी पड़ी हो, वो टुकड़ो की ही गाएगा 


उस किसान से पूछ के देखो, आज़ादी का मतलब क्या है

जिसके उत्पादों की कीमत शहर में बनिया तय करता है 


पूछना उस बेटी से भी जो घर से निकलने से डरती है

इस वहशी माहौल मे वो किस तरह गुजारा करती है। 


मजदूर और मजलूम से पूछें आज़ादी क्या होती है ?

सरहद पर सैनिक से पूछें, आज़ादी क्या होती है? 


उस गरीब गुरबे से पूछें जिसका सपना रोटी है

बंधुआ नौनीहाल से पूछें, आज़ादी क्या होती है 


पूछें उस शहरी से भी जो दंगों में घसीटा जाता है 

अपने हक की बात पे जो सड़कों पर पीटा जाता है 


जेलों में बंद जो बेगुनाह है, उनसे भी पूछा जाय

आज़ादी को लेकर जब जान ले हम सबकी राय 


तब अंत मे खुद से पूछें आज़ादी का मतलब क्या है? 

साफ समझ मे आ जाएगा, आज़ादी का मतलब क्या है। 

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