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उत्तराखण्ड : कुमाऊं रेजीमेंट के जांबाज ने ओलंपिक में हार कर भी जीत लिया भारत का दिल, 8 टांके लगे लेकिन रिंग नहीं छोड़ा, विरोधी हुआ कायल

उत्तर नारी डेस्क 

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाज सतीश कुमार को बेशक क्वॉर्टर फाइनल मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा हो, बावजूद इसके उन्होंने सभी का दिल जीत लिया है। बता दें कि सात टांके लगने के बावजूद भी सतीश देश के लिए रिंग में उतरने से पीछे नहीं हटे और वर्ल्ड नंबर वन उज्बेकिस्तान के बाखोदिर जालोलोव को कड़ी टक्कर दी। लेकिन यह उनकी बदकिस्मती रही कि मुकाबला जीत नहीं पाए।

आपको बता दें कि ओलिंपिक में सुपर हैवीवेट कैटेगरी में उतरने वाले पहले भारतीय बने सूबेदार मेजर सतीश कुमार को टोक्यो ओलिंपिक के प्री क्वॉर्टर फाइनल में जमैका के रिकॉर्डो ब्राउन के खिलाफ मैच में ठुड्डी और दाईं आंख पर गहरा कट लग गया था। उन्होंने प्री क्वॉर्टर फाइनल में जीत तो अपने नाम की लेकिन जख्म गहरा था। आँख के पास 8 टांके लग गए लेकिन वो देश के लिए रिंग में उतरने से पीछे नहीं हटे। उनके इस जज्बे को देख पूरा देश सलाम कर रहा हैं और साथ ही सोशल मीडिया पर जमकर सराहना हो रही है। 

ऐसा रहा सतीश का क्वॉर्टर फाइनल

सेना के 32 वर्षीय मुक्केबाज सतीश कुमार ने 91 किग्रा भार वर्ग में विश्व चैम्पियन बखोदिर जालोलोव के खिलाफ अच्छे प्रदर्शन के बावजूद क्वॉर्टर फाइनल में हारकर बाहर टोक्यो ओलिंपिक से बाहर हो गए। जालोलोव ने सतीश को 5-0 से शिकस्त दी। मुक्केबाज सतीश कुमार ने अपने दाहिने हाथ से भी जालोलोव को पंच जड़े। लेकिन विश्व चैंपियन जालोलोव इस पूरे मुकाबले में भारतीय मुक्केबाज पर हावी रहे। वहीं, तीसरे दौर में सतीश के माथे पर लगा घाव खुल गया और वह खून से लथपथ हो गए लेकिन इसके बावजूद भी मैदान नहीं छोड़ा। यही वजह थी कि फुटबॉलर से मुक्केबाज बने जालोलोव ने अपना पहला ओलिंपिक पदक सुनिश्चित करने के बाद सतीश की बहादुरी की तारीफ की। सतीश की हार के साथ पुरुष मुक्केबाजी में भारतीय चुनौती समाप्त हो गई।

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