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उत्तराखण्ड : BJP में शामिल होने के बाद किशोर उपाध्याय ने कांग्रेस को कोसा, जानें क्यों

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने आज गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली है। उनको भाजपा चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने पार्टी की सदस्यता दिलाई है। वहीं सुबह ही कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर उपाध्याय को 6 साल के लिए निलंबित कर दिया था। अब भाजपा में शामिल होने के बाद किशोर उपाध्याय का एक बड़ा बयान सामने आया है। जहां उन्होंने कहा है कि उत्तराखण्ड को आगे ले जाने की भावना के साथ ही वह भाजपा में शामिल हुए हैं। आपको कांग्रेस से पूछना चाहिए कि इस तरह के हालात बने ही क्यों! 

वहीं भाजपा जॉइन करने के बाद उपाध्याय ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में ही उत्तराखण्ड का विकास हो सकता है। आरएसएस और बीजेपी ने टिहरी व उत्तरकाशी के विकास के लिए बहुत काम किया है। मैं प्रहलाद जोशी का आभारी हूं कि उन्होंने भाजपा में मुझे अवसर दिया। अब मैं एक नई भूमिका में दिखाई दूंगा’ इसके अलावा, उपाध्याय ने कांग्रेस से निकाले जाने की वजह पर कहा कि भाजपा के साथ मेरी एक तस्वीर वायरल हुई, जिसका गलत मतलब निकालकर मेरे साथ कांग्रेस ने नाइंसाफी की। किशोर उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बन रही है। जल जंगल की मुहीम को संरक्षण मिलेगा। मैं किसी की आलोचना नही करूंगा, मैं उनका धन्यवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि मैने कभी किसी विचारधारा का विरोध नहीं किया है।

चलिए डालते हैं एक नज़र किशोर उपाध्याय के कांग्रेस से जुड़े सियासी सफर पर 

टिहरी गढ़वाल में 1958 में पीताम्बर दत्त उपाध्याय और एकादशी देवी के घर जन्मे किशोर पीएचडी की डिग्री रखते हैं। विधायक रह चुके उपाध्याय ने उत्तराखण्ड आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। गांधी परिवार के करीबी उत्तराखण्डी नेता रहे उपाध्याय ने अमेठी में राजीव गांधी को चुनाव लड़ाने के लिए भी काम किया था। किशोर उपाध्याय वर्ष 1978 से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। पार्टी के साथ उनका लंबा साथ रहा है। 2002 में पहली बार टिहरी सीट से विधायक चुने गए थे और एनडी तिवारी सरकार में औद्योगिक राज्य मंत्री बने थे। वर्ष 2012 में वे टिहरी से चुनाव हार गए थे। 2017 में वे अपनी परंपरागत सीट टिहरी को छोड़ कर चुनाव लड़ने देहरादून सहसपुर सीट पर पहुंचे। यहां से भी उन्हें हार मिली। 2014 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वे 1991 से ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे।

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