उत्तर नारी डेस्क
सनातन धर्म में गंगा को विशेष महत्व दिया गया है। यही वजह है कि मां गंगा के उद्गम क्षेत्र और करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र रहे गंगोत्री धाम से जुड़ी यह गंगोत्री विधानसभा सीट प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाती है। यह विधानसभा सीट इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि जिला मुख्यालय भी इसी के अंतर्गत आता है। देश की आजादी के बाद से इस सीट पर जो भी चुनाव हुए है जिस भी पार्टी का प्रत्याशी इस सीट से जीतता है सरकार उसी की बनी है। यहां एक ऐसा संयोग बनता रहा है, जो आज तक कायम है। अब विधानसभा चुनाव के नतीजों के लिए बस अब कुछ ही घंटे बचे है। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में इस मिथक को लेकर बातें शुरू हो गई हैं।
देश की आजाद के बाद शुरू हुए विधानसभा चुनाव से ही इस मिथक की शुरुआत हुई, जो आज तक नहीं टूटा है। इस बात को करीब 70 साल हो गए हैं। तब से ही यह मिथक बरकरार है। अब अगर बात करें उत्तराखण्ड की तो 2000 में इस राज्य की स्थापना होने पर 2002 में पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के विजय पाल सजवाण विधानसभा में पहुंचे तो सरकार कांग्रेस की बनी। जब 2007 में इसी सीट से बीजेपी के गोपाल रावत निर्वाचित हुए तो सरकार भगवा पार्टी की बनी। वहीं, साल 2012 में कांग्रेस के विजयपाल के जीतने पर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी। विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी विधायक गोपाल रावत निर्वाचित हुए तो सरकार बीजेपी की बनी। इस तरह से सन 1958 से ये मिथक बरकरार है। पुराना रिकार्ड इसका गवाह है। वहीं, उत्तराखण्ड में इस बार कांग्रेस-बीजेपी की सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। बाकी छोटी मोटी पार्टियां भी हैं जो चुनाव के मैदान में है लेकिन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी समीकरण बिगाड़ सकते हैं। हालांकि अब यह देखना जरूरी होगा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में ये मिथक बरकार रहता है या नहीं।
उत्तरकाशी जिले का प्रोफाइल
24 फरवरी सन 1960 को टिहरी रियासत से अलग होकर इस उत्तरकाशी जिले को बनाया गया था। साल 2000 में पहाड़ी राज्य बनने के बाद उत्तरकाशी जिले को 3 विधानसभा क्षेत्र में बांट दिया गया। जिसमें पुरोला, गंगोत्री और यमुनोत्री विधानसभा सीट शामिल हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे तीर्थ स्थानों के लिए भी ये जिला विश्वभर में प्रसिद्ध है। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी के नाम से जाना जाता है जो वरुण और अशी गंगा के बीच में वरुणावत पर्वत की तलहटी में स्थित है। यहीं पर गंगा भागीरथी बहती है तो मणिकर्णिका घाट भी है। साथ ही नगर के मध्य में काशी विश्वनाथ मंदिर भी है। स्कन्द पुराण के केदार खण्ड में उत्तरकाशी का वर्णन मिलता है।
उत्तरकाशी जिला मुख्यतः दो घाटियों से मिल कर बना है, एक गंगा घाटी जो कि गांगोत्री धाम से जिला मुख्यालय से बहती हुई गंगा नदी प्रवाह के इलाकों के रूप में जानी जाती है। दूसरी है यमुना घाटी जो राड़ी पर्वत से यमुना के उद्गम यमुनोत्री धाम से होते हुए हिमाचल प्रदेश की सीमा के रूप में जानी जाती है। गौरतलब है कि, गंगोत्री विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं में 43003 पुरुष मतदाता हैं, जबकि यहां महिला मतदाताओं की संख्या 40278 है। वहीं, जातिगत आधार के अनुसार इस विधानसभा में ठाकुर 62%, ब्राह्मण 17% हैं. अनुसूचित जाति 19% और अनुसूचित जनजाति 15% है। इसके साथ ही यहां मुस्लिम आबादी 0.5 फीसदी है।
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उत्तरकाशी विस सीट से सत्ता काबिज होने का इतिहास
देश की आजादी के बाद उत्तर प्रदेश में 1952 में हुई पहली विधानसभा चुनाव के दौरान यह सीट गंगोत्री विधानसभा सीट नहीं बल्कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट हुआ करती थी। 1952 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय चुनाव जीते। वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उस दौरान उत्तर प्रदेश में पं. गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी।
- साल 1957 के विधानसभा चुनाव में जयेंद्र निर्विरोध निर्वाचित हुए। फिर कांग्रेस ही सत्तासीन हुई, लेकिन साल 1958 में उत्तरकाशी से विधायक जयेंद्र की मृत्यु के बाद कांग्रेस के रामचंद्र उनियाल विधायक बने।
- साल 1962 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
- साल 1967 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
- साल 1969 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कृष्ण सिंह ने चुनाव जीता. उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी.
- साल 1974 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट को रिजर्व कर दी गई। उस दौरान कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता। तब उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
- साल 1977 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी।
- साल 1980 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
- साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
- साल 1989 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से जनता पार्टी से प्रत्याशी बर्फिया लाल ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी।
- साल 1991 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी।
- साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी से प्रत्याशी बलदेव सिंह आर्य ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी।
- साल 1996 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से प्रत्याशी ज्ञान चंद्र ने चुनाव जीता। उस दौरान उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी।
गंगोत्री विस सीट से सत्ता काबिज होने का इतिहास
9 नवंबर 2000 को उत्तराखण्ड के अस्तित्व में आने के बाद भी यह मिथक बरकरार रहा। ये बात अलग है कि उत्तरकाशी विधानसभा सीट का नाम बदलकर गंगोत्री विधानसभा सीट कर दिया गया।
- उत्तराखण्ड में साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण ने चुनाव जीता। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
- साल 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी।
- साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण चुनाव जीता। उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
- साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने चुनाव जीता। अभी प्रदेश में भाजपा की सरकार है।
- साल 2021 में विधायक गोपाल सिंह रावत के निधन के बाद से यह विधानसभा सीट खाली है।
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