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गोवा में पहले ही लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड फिर भी उत्तराखण्ड बनेगा इसे लागू करने वाला पहला राज्य

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड विधान सभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी की पहली कैबिनेट बैठक गुरुवार शाम को सम्पन्न हुई। जहां पहली कैबिनेट बैठक में मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी ने एक बड़ा फैसला लिया है। जिसके मुताबिक उत्तराखण्ड राज्य में मुख्यमंत्री ने जल्द ही प्रदेश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कैबिनेट ने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज नई सरकार का गठन होने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई। 12 फरवरी 2022 को हमने जनता के समक्ष संकल्प लिया था कि अपनी सरकार का गठन होने पर हम यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे। बैठक में हमने तय किया है कि हम इसे जल्द ही लागू करेंगे। कैबिनेट ने इसके लिए विशेषज्ञों की समिति गठित करने को सहमति दे दी है। उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य होगा। 

अब ऐसे में आप सभी के मन में यह सवाल होगा कि उत्तराखण्ड इसे लागू करने वाला पहला राज्य कैसे बनेगा? क्यूंकि गोवा में तो यूनिफार्म सिविल कोड पहले से लागू है। तो आपको बता दें कि गोवा में पुर्तगाल सरकार ने ही यूनिफार्म सिविल कोड लागू किया था। वर्ष 1961 में गोवा सरकार उक्‍त सिविल कोड के साथ ही बनी थी। ऐसे में उत्तराखण्ड पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसकी कैबिनेट ने सिविल कोड लागू करने का निर्णय लिया है।

गोवा के बारे में रोचक जानकारी

आप जानकर हैरान होंगे कि पुर्तगालियों ने गोवा पर 451 वर्षों तक शासन किया। यह अंग्रेजों से भी काफी ज्‍यादा था। पुर्तगाली वर्ष 1510 में भारत आने वाले पहले यूरोपी शासक थे। इसके साथ ही वह सबसे आखिर में वर्ष 1961 में उपनिवेश छोड़ने वाले यूरोपी शासक थे।

क्या है यूनिफार्म सिविल कोड

यूनिफार्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून। चाहे व्‍यक्ति किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा। यह एक पंथ निरपेक्षता कानून जो सभी के लिए समान रूप से लागू होता है।

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद हर मजहब के लोग एक कानून के दायरे में आ जाएंगे। अभी देश में हर धर्म के लोग शादी, तलाक, जायदाद का बंटवारा और बच्चों को गोद लेने जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के हिसाब से करते हैं। लेकिन उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने के बाद सभी धर्म एक ही कानून का अनुसरण करेंगे। बता दें कि देश में मुस्लिम, ईसाई और पारसी का पर्सनल लॉ है। वहीं, हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौध आते हैं। संविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है। ये अभी तक देश में कहीं लागू नहीं हो पाया है। उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य होगा जहां समान नागरिक संहिता लागू होगी। 

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