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कलयुग का 'श्रवण कुमार', मां-बाप को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा लेकर निकला बेटा

उत्तर नारी डेस्क 

आपने अभी तक कहानियों में ही श्रवण कुमार को सुना होगा, लेकिन गाजियाबाद के विकास गहलोत ने इस कहानी को चरितार्थ करके दिखा दिया है। कांवड़ मेले में श्रवण कुमार बनकर विकास अपने माता-पिता को कंधे पर लेकर हरिद्वार पहुंचा और उन्हें गंगा स्नान करवाया। इसके बाद कांवड़ जल लेकर पालकी में माता-पिता को बैठाकर विकास गाजियाबाद के लिए चल पड़ा। यह देखकर हर कोई हैरान हो गया है। विकास का अपने माता-पिता से प्यार इसी बात से साबित हो रहा है कि उसने अपने माता-पिता की आंखों पर पट्टी बांधी हुई है, ताकि उन्हें बेटे विकास का दर्द न दिखाई दे। वहीं, उमस भरी इस गर्मी में तपती सड़क पर सैकड़ों किमी के सफर की परवाह किए बगैर माता-पिता को कांवड़ पर बैठाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने निकले विकास की हर कोई तारीफ कर रहा है। 

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के करीमनगर निवासी 24 वर्षीय विकास गहलोत ने बताया कि उनके माता-पिता ने कांवड़ यात्रा की इच्छा जताई थी, लेकिन उसके माता-पिता की उम्र इतनी नहीं है कि वो पैदल चलकर यात्रा कर सके। इसलिए उसने मन बनाकर दृढ़ निश्चय कर इस तरह से माता पिता को यात्रा करवाने का फैसला किया। जिसके बाद लाखों कांवड़ियों के बीच विकास गहलोत सावन में माता-पिता को स्नान करवाने हरिद्वार लेकर पहुंचा। गंगा स्नान के बाद कांवड़ जल लेकर बहंगिया (पालकी) में माता-पिता को बैठाकर चल पड़ा। विकास के कंधों पर पालकी बांस की जगह लोहे के मजबूत चादर की बनी है। जिसमें उसने एक तरफ मां तो दूसरी तरफ पिता को बैठाया है। पिता के साथ 20 लीटर गंगाजल का कैन भी है। वहीं, बीच बीच में पालकी को सहारा देने के लिए उसके साथ अन्य दो साथी भी चल रहे हैं। 

विकास का कहना है कि  उसके लिए माता-पिता ही उसके भगवान हैं। अगर माता-पिता ने मेरा दर्द देख लिया तो वे भावुक हो जाएंगे और वह यात्रा पूरी नहीं कर पाएगा। इसलिए उनकी आंखों पर भगवा रंग की पट्टी बांध रखी है। 

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