उत्तर नारी डेस्क

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के करीमनगर निवासी 24 वर्षीय विकास गहलोत ने बताया कि उनके माता-पिता ने कांवड़ यात्रा की इच्छा जताई थी, लेकिन उसके माता-पिता की उम्र इतनी नहीं है कि वो पैदल चलकर यात्रा कर सके। इसलिए उसने मन बनाकर दृढ़ निश्चय कर इस तरह से माता पिता को यात्रा करवाने का फैसला किया। जिसके बाद लाखों कांवड़ियों के बीच विकास गहलोत सावन में माता-पिता को स्नान करवाने हरिद्वार लेकर पहुंचा। गंगा स्नान के बाद कांवड़ जल लेकर बहंगिया (पालकी) में माता-पिता को बैठाकर चल पड़ा। विकास के कंधों पर पालकी बांस की जगह लोहे के मजबूत चादर की बनी है। जिसमें उसने एक तरफ मां तो दूसरी तरफ पिता को बैठाया है। पिता के साथ 20 लीटर गंगाजल का कैन भी है। वहीं, बीच बीच में पालकी को सहारा देने के लिए उसके साथ अन्य दो साथी भी चल रहे हैं।
विकास का कहना है कि उसके लिए माता-पिता ही उसके भगवान हैं। अगर माता-पिता ने मेरा दर्द देख लिया तो वे भावुक हो जाएंगे और वह यात्रा पूरी नहीं कर पाएगा। इसलिए उनकी आंखों पर भगवा रंग की पट्टी बांध रखी है।
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