उत्तर नारी डेस्क
हरेला श्रावण मास के पहले दिन मनाया जाता है। जोकि शरद ऋतू के आगमन में मनाया जाता है और जुलाई व अगस्त के मध्य में आता है। बता दें हरेले के त्यौहार को अच्छी फसलों के लिए भी मनाया जाता है। हमारे पूर्वजों ने हरेला जैसे त्यौहार को मनाने की परंपरा दी है। जिससे पर्यावरण को भी संरक्षण प्राप्त होता है। हरेला पर्व उत्तराखण्ड के कुमाऊँ रीजन मे बड़े धूमधाम से तमाम महिलाओं द्वारा कुमाऊनी परिधान और रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है हरेला में पांच, सात या नौ अनाजों को मिलाकर हरेले से नौ दिन पहले दो बर्तनों में मिटटी में बोया जाता है और परिवार के बुजुर्ग सदस्य हरेला काटते हैं और सबसे पहले हरेला समस्त देवों को अर्पित किया जाता है। इसके बाद परिवार की बुजुर्ग महिला परिजनों को हरेला आर्शीवाद स्वरुप देती है। इस दौरान जगह-जगह पौधरोपण किया जाता है। जिससे हरियाली बढ़ सके और पर्यावरण को संरक्षित भी किया जा सके।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को दी हरेला पर्व की शुभकामनाएं
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरेला पर्व पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी। इसके साथ ही उन्होंने अपने निजी आवास नगला तराई और राधा स्वामी सत्संग परिसर में पौधरोपण किया। साथ ही लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील की।
सीएम धामी ने कहा कि पर्यावरण को समर्पित "हरेला" पर्व प्रकृति संरक्षण का त्यौहार है। जो प्रेरित करता है कि सभी लोग ज्यादा से ज्यादा पौधों का रोपण करें। उन्होंने कहा कि हम बीते कई सालों से हरेला पर्व को प्रकृति संरक्षण के रूप में मनाते आए हैं। हमारा प्रयास है कि इस हरेला पर्व में जन-जन की भागीदारी हो और आने वाली पीढ़ी भी इसमें भागीदार बने।
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