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एंबुलेंस को रास्ता नहीं मिलने से 10 साल के बच्चे की मौत

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड में बारिश का दौर जारी है। जिसके चलते कई नदियां उफान पर है तो कई सम्पर्क मार्ग भूस्खलन और मलबा आने से बाधित हो चुके है। जिस वजह से लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। वहीं, चम्पावत में टनकपुर हाईवे बंद होने की वजह से 10 साल के बच्चे की मौत हो गई। 10 साल के बच्चे की तबीयत बिगड़ने के चलते उसे अस्पताल में ले जाया जा रहा था लेकिन हाईवे बंद होने के चलते एम्बुलेंस को रास्ता नहीं मिला और बच्चे की मौत हो गई। 

जानकारी के अनुसार, शनिवार की शाम जिला मुख्यालय के ज्ञानी सेरान निवासी 10 वर्षीय रितिक थ्वाल पुत्र सुरेश चंद्र थ्वाल अपने खेत में लगे नाशपती तोड़ने गया था। इस दौरान ततैया के झुंड ने उसपर हमला बोल लिया। जिसके बाद परिजन घायल रितिक को उपचार के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां  इलाज के लिए उसे भर्ती कर लिया गया था। लेकिन रात दो बजे करीब उसकी तबियत अधिक बिगड़ने लगी, जिसको देखते हुए डाक्टरों ने रितिक को सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी के लिए रेफर कर दिया। जिसके बाद एंबुलेंस से रितिक को लेकर उसके परिजन हल्द्वानी के लिए निकले लेकिन टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग स्वांला में मलबा आने से बंद था। आगे जाना मुश्किल था लिहाजा एंबुलेंस उसे लेकर वापस लौटने लगी। रितिक की हालात ज्यादा गंभीर होने लगी तो उसे उप जिला अस्पताल लोहाघाट ले जाया गया। दर्द से कराहते रितिक को लोहाघाट में समुचित इलाज मिलना मुश्किल था। दर्द से कराहते कराहते रितिक ने आखिरकार दम तोड़ दिया। रितिक के मां बाप बेहद गरीब हैं। बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने अपना गांव छोड़ दिया और चंपावत में आ गए। रितिक के पिता मजदूरी करते हैं और उनकी मां भोजनमाता हैं। रितिक राजकीय प्राथमिक विद्यालय में पांचवीं का छात्र था।

बच्चे की मौत के लिए सिस्टम की लापरवाही को जिम्मेदार माना जा रहा है। लोगों का कहना है कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सड़क बंद होने की सूचना अस्पताल प्रशासन को दी होती तो यह नौबत नहीं आती। लोगों का कहना है कि अगर अस्पताल को सड़क बंद होने की सूचना दी गई होती तो बच्चे को पहले ही लोहाघाट देवीधुरा मार्ग से हल्द्वानी ले जाया जा सकता था।

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