उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में दशहरा महोत्सव अराजकता की भेंट चढ़ गया। जिस वजह से सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में पहली बार ऐसा हुआ कि दशहरा महोत्सव में रावण के पुतले का दहन नहीं हो सका। दरअसल, बीती शाम यहां दो पुतला समितियों के बीच विवाद शुरू हो गया और देर रात तक नहीं सुलझ पाया। इस दौरान रावण का पुतला बनाने वाली समिति ने दशहरा महोत्सव समिति पर कई आरोप लगाए और रावण का पुतला जलाने से इंकार कर पुतले को वापस लाकर नन्दादेवी मंदिर के पास ही खड़ा कर दिया गया। इधर रावण के पुतले का दहन नहीं होने से गुरुवार को पूरे बाजार चर्चाओं का माहौल गर्म रहा। ऐसा पहली बार हुआ है कि रावण का पुतला बना, लेकिन जला नहीं।
जानकारी के अनुसार, दशहरे के दिन एक पुतला समिति के एक युवक ने रावण पुतला समिति के नंदादेवी निवासी धनंजय से अभद्रता कर दी। जिस वजह से दो समितियों के बीच विवाद हो गया। धनंजय ने बताया कि एक युवक ने पहले उनका हाथ पकड़ा, फिर वह कमीज फाड़ने लगा। उन्होंने बताया कि इसकी जानकारी उन्होंने दशहरा महोत्सव समिति को दी और अभद्रता करने वाला युवक जिस पुतला समिति से है, उस पुतले को बाहर करने की मांग की। उनका आरोप है कि दशहरा महोत्सव समिति ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद चौक बाजार में माहौल गरम हो गया और विरोध में रावण के पुतले को रोका गया। इस वजह से राम का रथ भी चौक बाजार में रुक गया। हालांकि, इस बीच किसी तरह समझौता करने के बाद बमुश्किल रावण के पुतले कोस्टेडियम के लिए भेजा गया। मगर फिर स्टेडियम में विवाद हो गया। पुतला समिति का आरोप था कि उनकी उपेक्षा की गई है। जिसके बाद रात करीब साढ़े 12 बजे पुतला समिति रावण का पुतला वापस लेकर ही चले गए। जिसके बाद रावण पुतला समिति ने प्रतिकात्मक तौर पर रावण के एक सिर काे अलग से जलाया। लेकिन गुरुवार की सुबह भी पुतला बाटा चौक के पास खड़ा रहा।
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