उत्तर नारी डेस्क
ग्राम्य एकता प्रगति प्रेमांजलि समागम समिति गेप्स के तत्वावधान में पदमपुर मोटाढाक में इगास बगवाल का त्योहार परंपरागत तौर पर मनाया गया। मुख्य अतिथि पूर्व जिलापंचायत सदस्य पौड़ी एवम् प्रधान ग्राम सभा बनाली गणेश कंडवाल एवम् मुख्य वक्ता आचार्य मनोज सकलानी एवम् संस्थापक निदेशक राम भरोसा कंडवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की। गऊ माता के माथे पर तिलक एवम् पद्दुकाओं को धोकर वाद्य यंत्रों के साथ पूजा अर्चना की एवम् जौ से बना परंपरागत प्रसाद बाड़ी खिलाया गया।
मुख्य वक्ता के बतौर आचार्य सकलानी ने इगास पर्व पर अपने व्याख्यान में कहा कि इगास बगवाल का त्योहार 17वीं शदी से मनाया जा रहा है। जो गढ़वाल के तत्कालीन भड योद्धा माधो सिंह भंडारी से जुड़ा हुआ हैं जो कि राजा महिपत शाह, रानी कर्णवती के अलावा पृथ्वी पति शाह के वजीर और वर्षों तक सेनानायक भी रहे जोकि तिब्बत के सरहदों से तीन युद्ध लड़े एवं सीमाओं का निर्धारण किया। कहा जाता है कि एक बार वे तिब्बत के युद्ध में इतना उलझ गए कि दीपावली तक घर नहीं पहुंच पाए जिसके कारण वहां के लोगों ने दीपावली नहीं मनाई आशंका थी कि माधो सिंह भंडारी युद्ध में मारे गए हैं।
दिवाली के कुछ दिनों बाद जब माधव सिंह के सुरक्षित होने और युद्ध विजय की खबर श्रीनगर गढ़वाल पहुंची तब राजा की सहमति पर एकादशी के दिन एकादशी पर दीपावली मनाने की घोषणा हुई तब से यह त्योहार उत्तराखण्ड में निरंतर मनाया जाता आ रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने का समाचार देवभूमि उत्तराखण्ड को दिवाली के 11 दिन बाद पता चला इस खुशी में भी इगास बगवाल मनाया जाता है। अध्यक्षता करते हुए संस्थापक निदेशक रामभरोसा कंडवाल ने सभी को इगास बगवाल की बधाई देते हुए सरकार से मांग की कि माधो सिंह भंडारी जिन्होंने परोपकार के लिए अपने पुत्र रत्न तक का बलिदान कर दिया था, का इतिहास स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए ताकि भावी पीढ़ी को अपनी दिवंगत महान विभूतियों के बारे में ज्ञान हो सके। इस अवसर पर प्रधान गणेश कंडवाल ने अपनी संस्कृति को जिंदा रखने के लिए देवभूमि के जन-जन से आग्रह करते हुए कहा कि हमें अपनी भावी पीढ़ी को अपनी संस्कृति की समय समय पर याद दिलाने की जरूरत है नहीं तो यह लुप्त प्राय हो जाएगी।
इस अवसर पर आचार्य मनोज सकलानी, अनुराग कंडवाल, संजय थपलियाल, आशा देवी, सोम प्रभा देवी, डा चंद्र मोहन बडथ्वाल, एवम् गणेश कंडवाल, झाबा देवी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन अनुराग कंडवाल ने किया।
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