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मौसम और जलवायु में क्या होता है अंतर? जानें

उत्तर नारी डेस्क 


मौसम और जलवायु दोनों पृथ्वी के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। मौसम और जलवायु दोनों का ही हमरे जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण से मानव जीवन की गतिविधियां बदलती हैं, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कई लोग मौसम और जलवायु के बीच का अंतर नहीं समझ पाते हैं। क्या आपको भी मौसम और जलवायु के बीच का अंतर नहीं पता हैं? अगर ऐसा है तो हम आपको बताएंगे कि मौसम और जलवायु के बीच क्या अंतर है और इसे आप कैसे पहचान सकते हैं?

♦️क्या होता है मौसम?

मौसम वातावरण का हिस्सा है। इसमें वर्षा, तापमान, नमी, हवा की रफ्तार व वायुमंडलीय दबाव जैसे कारक शामिल होते हैं। हमेशा मौसम बदलता रहता है। यह कभी स्थिर नहीं रहता है। मौसम के बदलाव को आप ऐसे समझ सकते हैं। जैसे कई बार तेज धूप निकलना, तेज बारिश होना और कई बार सामान्य दिन रहना। वहीं, इसके बदलने का क्रम कुछ दिन, सप्ताह या महीने के आधार पर भी हो सकता है। ऐसे में कई कारकों की वजह से मौसम में उतार-चढ़ाव बना रहता है। 

♦️कैसे पता लगाया जाता है मौसम पूर्वानुमान?

बता दें कि मौसम पूर्वानुमान का पता लगाने के लिए सैटेलाइट की जरूरत पड़ती है। सैटेलाइट के माध्यम से ही मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है। इसके लिए मौसम वैज्ञानिक सैटेलाइट के जरिए आंकड़ें जुटाकर मौसम का पता लगाते हैं। इसके माध्यम से सर्दी, गर्मी, हवा और बाढ़ का पता लगाया जाता है।

♦️क्या होती है जलवायु?

बता दें कि किसी एक क्षेत्र में मौसम के लंबे समय तक बने रहने वाले पैटर्न को जलवायु कहते है। इसके माध्यम से किसी एक क्षेत्र में एक समयावधि में मौसम के बदलाव को देखा जाता है। यह मौसम से काफी भिन्न है, जिसके बारे में हम आपको पहले ही बता चुके हैं।

♦️इस तरह जलवायु के बारे में जुटाई जाती है जानकारी

आपको बता दें कि वैज्ञानिक वर्षा, तापमान, आर्द्रता, धूप, हवा और अन्य पर्यावरणीय कारकों के औसत से जलवायु को मापते हैं। यह किसी क्षेत्र में लंबी अवधि के लिए होती है, जो कि 30 साल तक हो सकती है। वहीं, मौसम की अवधि इतनी लंबी नहीं होती है, जैसे की पहले भी हमने बताया है।मौसम और जलवायु के बीच अंतर जलवायु की गणना लंबे समय तक मौसम के डाटा के आधार पर की जाती है। जबकि मौसम कम समय में होने वाले वातावरण में बदलाव को लेकर है। जलवायु और मौसम को कभी-कभी एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किया जाता है, लेकिन इन दोनों को ही अलग-अलग तरीके से मापा जाता है। साथ ही इन्हें प्रभावित करने वाले कारक भी अलग होते हैं। मौसम के तहत आपको तापमान, हवा की रफ्तार व बादल आदि को लेकर जानकारी मिलेगी। साथ ही इनका कुछ दिनों का पूर्वानुमान भी मिल जाएगा। वहीं, जलावयु के मामले में आपको लंबे समय तक रहे तापमान या वर्षा के औसत आंकड़ों के बारे में जानकारी मिलेगी। जलवायु के अध्ययन को क्लाईमेटोलॉजी यानी जलवायु विज्ञान कहते हैं। जबकि मौसम के पैटर्न और भविष्यवाणियों पर केंद्रित वातावरण का वैज्ञानिक अध्ययन मिटियोरोलॉजी यानी मौसम विज्ञान कहलाता है।

♦️ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चिंता

भारत के प्रत्येक राज्य में आपको अलग-अलग मौसम देखने को मिल जाएंगे। जैसे उत्तर भारत में सर्दी से लेकर दक्षिण भारत में पड़ने वाली गर्मी। हालांकि, बीते वर्षों में यहां जलवायु में बदलाव हुआ है। इसका प्रमुख कारण प्राकृतिक संसाधनों का अधिक इस्तेमाल और बड़ी संख्या में पेड़ों का कटना है। इस वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग यानी वैश्विक तापमान बढ़ रहा है। इसके कारण से आने वाले समय में धरती पर लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। वैज्ञानिकों ने बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण समुद्र के स्तर में वृद्धि की भविष्यवाणी की है, जिससे वर्षा के पैटर्न और अन्य क्षेत्रीय जलवायु कारक भी बदल सकते हैं।


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