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उत्तराखण्ड : छावला दुष्कर्म-हत्या मामले में 2 मार्च को पुनर्विचार याचिका पर होगी सुनवाई

उत्तर नारी डेस्क 

दिल्ली के 2012 छावला दुष्कर्म मामले को लेकर एक बड़ी ख़बर सामने आयी है। जहां सुप्रीम कोर्ट छावला सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों को बरी करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका पर दो मार्च को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट की तीन जज CJI डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेलाएम त्रिवेदी की बेंच पुनर्विचार याचिका पर चेंबर में विचार करेगी। 

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने बताया कि याचिका में शीर्ष अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पीड़िता को भयंकर यातनाएं देकर मारने के लिए निचली अदालत और हाई कोर्ट ने 3 लोगों- राहुल, रवि और विनोद को फांसी की सज़ा दी थी। लेकिन 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। दरअसल, दिल्ली पुलिस ने इस मामले में तीन दोषियों को बरी करने के अदालत के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी। जिसमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच से जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा था कि 18 वर्षीय लड़की के साथ दुष्कर्म किया गया और क्रूरता से उसकी हत्या कर दी गई और अब, मामले के एक आरोपी ने एक ऑटो चालक का गला काट दिया है। मेहता ने कहा कि तीनों आदतन अपराधी हैं। मामले की जल्द ही खुली अदालत में सुनवाई हो। 

दिल दहला देने वाली घटना
दिल्ली के द्वारका के छावला इलाके में 9 फरवरी 2012 को निर्भया की तरह ही उत्तराखण्ड की एक 19 साल की एक लड़की के साथ भी हैवानियत की गई थी। लड़की से सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसके शरीर को सिगरेट और गर्म लोहे से दागा गया था। चेहरे और आंखों पर तेजाब डाला दिया गया था। पीड़िता उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली थी। वह दिल्ली में छावला इलाके में रहती थी। घटना वाले दिन वह गुड़गांव के साइबर सिटी इलाके से काम के बाद लौट रही थी, तभी घर के पास तीन लोगों ने कार में उसे अगवा करने के बाद उसके साथ दरिंदगी की थी।

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