उत्तर नारी डेस्क
विश्व प्रसिद्ध बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को खोले जाने हैं। कपाट खुलते ही भगवान बद्री विशाल का अभिषेक तिलों के तेल से किया जाता है। यह तिलों का तेल नरेंद्र नगर स्थित राज महल में सुहागिन महिलाएं अपने हाथों से पिरोती हैं। नरेंद्र नगर की महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह और राजपुरोहित आचार्य कृष्ण प्रसाद उनियाल की उपस्थिति में तिलों के तेल को पिरोया गया। यह तेल एक कलश में भरा गया। जिसे गाडू कलश के नाम से पहचाना जाता है।
गाडू कलश आज शाम नरेंद्र नगर से चलकर ऋषिकेश स्थित चेला चेतराम धर्मशाला पहुंचेगा। 13 अप्रैल को श्रद्धालु गाडू कलश के दर्शन को चेला चेतराम धर्मशाला में पहुंचेंगे। जिसके बाद कलश यात्रा श्रीनगर के लिए रवाना हो जाएगी। 23 अप्रैल तक श्रीनगर के निकट लक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर में गाडू कलश की पूजा-अर्चना होगी। 24 अप्रैल को गाडू कलश जोशीमठ के नरसिंह मंदिर पहुंचेगा। 25 अप्रैल को कलश यात्रा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी से होते हुए योग बद्री मंदिर पांडुकेश्वर पहुंचेगी। 26 अप्रैल को गाडू कलश बद्रीनाथ धाम पहुंच जाएगा। जिसके बाद 27 अप्रैल को विधि-विधान से भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।