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एक ऐसी शख्सियत जिसके जाने पर रो पड़ा पूरा क्षेत्र, विदेशी महिला जिन्होनें समर्पित किया अपना जीवन देवाल क्षेत्र के लोगों के लिए

उत्तर नारी डेस्क 

वर्ष 2000 में पहली बार जर्मनी की एक महिला एलिजाबेथ 61 वर्ष की उम्र में ट्रैकिंग के लिए 10 लोगों के साथ रूपकुंड ट्रैक पहुंची थी। लेकिन एक घटना ने उन्हें ऐसा झकझोरा कि वो यहीं की होकर रह गयी। मुंदोली गांव के काम सिंह व उनकी पत्नी की अचानक मृत्यु के बाद उनकी 6 साल की बेटी व 3 साल का बेटा अनाथ हो गया था। इसके बाद उन्होनें दोनों बच्चों को गोद लिया व यहीं रहने लगी। दोनों बच्चों के प्यार, स्नेह में कभी कमी नहीं रखी। उन्होनें मां यशोदा के रुप में दोनों बच्चों की परवरिश की व विमला की बड़े धूमधाम से विवाह भी किया।

इस दौरान उन्होंने कुलिंग गांव को गोद लिया व आस पास के गांव वाक, कुलिंग, वाण,मुंदोली गांव के 17 बच्चों के भरण पोषण व शिक्षा में भी मदद की व कई का उपचार भी कराया। विदेशी होने के बावजूद भी उन्होनें यहां के जरुरतमंद परिवारों की लंबी अवधि तक सेवा की। यहां के कई बच्चों की पढ़ाई, भरण पोषण, शादी, व्यावसायिक शिक्षा व इलाज कराया। आज ये बच्चे देश के विभिन्न संस्थानों में नौकरी व शिक्षा ग्रहण कर रहें है। 23 साल से अधिक इस क्षेत्र में रहने व 84 वर्ष की उम्र पहुंचने पर शरीर से कमजोर होने पर वह अपने देश जर्मनी लौट गयी। चमोली पुलिस ऐसी महान शख्सियत को सलाम करती है। 

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