उत्तर नारी डेस्क
यमकेश्वरः तालघाटी में बरसात में स्थायी सड़क मार्ग नहीं होने से बरसात के चार महीनें स्थानीय की जान पर भारी पड़ते हैं, क्योंकि यदि कोई बीमार हो गये तो उन्हें बीच बहती नदी में ले जाना किसी चुनौती से कम नहीं होता। बीन नदी पुल और स्थायी सड़क नहीं होने का मलाल कई सदियों से स्थायी निवासियों को है। बरसात के मौसम में तालघाटी के लोगों के लिए एक एक दिन काटना भारी होता है। तालघाटी के लोगों द्वारा विन्ध्यवासनी ऑलवेदर रोड़ की मॉग की जा रही है, किंतु मॉग हम लोगों की सोशल मीडिया या कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के पत्राचार तक ही सिमट कर रह जाती है। आज एक बीमार को ले जाने का वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक महिला को कुर्सी पर बैठाकर कुछ लोग कंधें में नदी के बहती तेज धारा में ले जा रहे हैं, यह वीडियो विन्ध्यवासिनी मंदिर के आस पास क्षेत्र का है।
पूर्व प्रधान बुकण्डी आनन्द सिंह रावत ने बताया कि बुकण्डी के बेलवाला तोक निवासी दर्शनी देवी को तेज बुखार आने से उनका स्वास्थ्य अचानक बिगड़ने लगी। स्थानीय लोगों के द्वारा उन्हें अस्पताल ले जाने का इंतजाम किया गया। स्थानीय निवासियों द्वारा उन्हें कुर्सी में बिठाकर पैदल गंगाभोगपुर लाया गया। बीच में कई जगह ताल नदी की बहती तेज धारा में उन्हें जान जोखिम में डालकर ले जाया गया। पूर्व प्रधान आनंद सिंह रावत बताया कि बीमार व्यक्ति को कंधें कुर्सी में बिठाकर लगभग 10 किलोमीटर दूर पैदल बहती तेजधारा को पार करके गंगा भोगपुर तक पहुँचाया गया, उसके बाद उन्हें वाहन से अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की गई।
इस संबंध में स्थायी निवासी सत्यपाल रावत ने कहा कि यदि ऑलवेदर रोड़ या नौंगॉव विन्ध्यवासनी मोटर मार्ग खुल गया होता तो इस तरह जान जोखिम में डालकर मरीज को ले जाने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ता। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता एसपी जोशी ने कहा कि इन्हीं सबको देखते हुए हमारे क्षेत्रवासियों द्वारा बैराज से विन्ध्यवासनी तक ऑलवेदर सड़क की मॉग की जा रही है, यह हालात हर साल बरसात में होते हैं।
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