उत्तर नारी डेस्क
जासूसी कहानियों पर बनी फिल्में हम जिस रोमांच के साथ देखते हैं, असल जिंदगी में इन जासूसों की जिंदगी उतनी ही मुश्किल भरी होती है। ये धर्म, पोशाक और जगह बदलकर खुफिया तरीके से जानकारी इकट्ठा करते हैं। कहा भी गया है कि हथियारों की लड़ाई तो पूरी जिंदगी लड़ी जाती है लेकिन बुद्धि हमेशा ताकत पर भारी पड़ती है। यही वजह है कि भारत ही नहीं, दुनियाभर के बड़े देश अपने जासूसों के जरिए दुश्मन की हर मूवमेंट पर नजर रखते हैं। तो चलिए आज हम आपको भारत के सबसे बड़े जासूस के बारे में बताएंगे, जिसका नाम सुनते ही पाकिस्तान की रुह कांपने लगती है। उन्हें भारत का 'जेम्स बॉन्ड' कहा जाता है। अब तो आप समझ गए होंगे कि हम देश के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष अजीत डोभाल की बात कर रहे हैं। अजीत डोभाल अपने जीवन में कई बड़े ऐसे कारनामे कर चुके हैं, जिनसे पाकिस्तान के कई नापाक मंसूबे नाकाम हो चुके हैं। एनएसए रहते हुए भी डोभाल ने पाकिस्तान को कई बार गहरी चोट पहुंचाई है। उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं।
7 सालों तक पाकिस्तान में मुसलमान बनकर रहे डोभाल
पाकिस्तान जैसे देश में एक जासूस की तरह कई साल बिताना ठीक वैसा ही जैसा मौत को हाथ में लेकर चलना होता है। अजित डोभाल ने आसानी से ये काम किया और 1 या 2 साल नहीं, पूरे 7 साल तक वो जासूस बनकर पाकिस्तान में रहे। जिसकी पाकिस्तानी एजेंसियों को कानों कान खबर तक नहीं हुई। पाकिस्तान में रहते हुए उन्होंने एक मुसलमान व्यक्ति के रूप में खुद को ढाला और कभी भी किसी को ये भनक नहीं लगने दी कि वे एक हिंदू हैं। लेकिन एक बार उनका ये भेद खुल गया। डोभाल पाकिस्तान के लाहौर में रहा करते थे। लाहौर में ही औलिया की एक बहुत बड़ी मजार है। वहीं पर एक बार एक व्यक्ति जिसकी खुद लंबी दाढ़ी थी और वह पूरी मुस्लिम वेशभूषा में था। उसने इन्हें रोक लिया और कहा कि तुम हिंदू हो। डोभाल ने साफ इनकार कर दिया।
उस व्यक्ति ने फिर कहा कि आप झूठ बोल रहे हैं आपके कान छिदे हुए हैं और एक हिंदू ही अपने कान छिदवाता है। डोभाल ने अपना बचाव करते हुए कहा कि मैंने बाद में मुस्लिम धर्म अपनाया है। उस व्यक्ति ने इसके बाद भी कहा कि आप झूठ बोल रहे हैं और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि मैं खुद एक हिंदू हूं और यहां अपनी पहचान छिपाकर रह रहा हूं। उस व्यक्ति ने डोभाल को सलाह दी कि वे अपने कान की प्लास्टिक सर्जरी करवा लें, नहीं तो यहां दिक्कत हो जाएगी। बाद में डोभाल ने अपने कान की सर्जरी करवा ली। हालांकि उनके कान में अब भी हल्का सा छेद दिखता है।
अजीत डोभाल जीवन परिचय :-
आपको बता दें अजित डोभाल का जन्म 1945 में उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल के गिरि बानसेल्युन गाँव में एक गढ़वाली परिवार में हुआ है। इनके पिता का नाम गुननाद डोभाल था। डोभाल के पिता भारतीय सेना में एक अधिकारी थे। अजीत डोभाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से पूरी की थी, इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तैयारी में लग गए। कड़ी मेहनत के बल पर वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए थे, जहां से उनके कैरियर की शुरुआत हुई।
अजीत डोभाल करियर:-
अजीत डोभाल का कैरियर शुरू तो एक आईपीएस अधिकारी के रूप में हुआ, पर यहां इन्होने अपना बेहतरीन प्रदर्शन देते हुये 77 वर्ष तक की उम्र में भी देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में कार्यरत है। इनका शुरुआत से लेकर अब तक का कैरियर इस प्रकार है –
अजीत डोभाल ने अपनी शुरुआती कमान केरल कैडर में 1968 में संभाली। इस दौरान पंजाब और मिजोरम में हुये उग्रवाद विरोधी आंदोलन में ये सक्रीय रूप से शामिल थे। मिजोरम में अजीत डोभाल ने मिज़ो नेशनल फ्रंट को शक्तिहीन किया और वहां शांति की स्थापना की।
इसके बाद साल 1999 में कंधार में आईसी-814 में यात्रियों के अपहरण के मुद्दे पर अजीत ने उन 3 अधिकारियों में से एक थे, जिन्होंने रिहाई के मुद्दे पर देश की ओर से बात की थी। इसके अलावा अजीत जी को 1971 से 1999 तक हुये सभी 15 हाईजेकिंग में शामिल होने का अनुभव प्राप्त है।
अजीत डोभाल एक दशक से भी अधिक समय तक आईबी के संचालन विंग का नेतृत्व करने का अनुभव प्राप्त है। इसके अलावा अजीत डोभाल को मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) और जाइंट टास्क फोर्स ऑन इंटेलिजेंसी के संस्थापक अध्यक्ष भी है।
अजीत डोभाल ने आतंक निरोधी कार्यो के लिए भारत के तीसरे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन के द्वारा ट्रेनिंग भी प्राप्त की हुई है।
पंजाब में रोमानियों के रेसक्यू के समय भी अजीत डोभाल की भूमिका अहम थी, साल 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर के पहले इन्होने स्वर्ण मंदिर में प्रवेश कर महत्वपूर्ण जानकारियाँ एकत्रित की थी।
अजीत डोभाल ने मिज़ो नेशनल आर्मी के साथ बर्मा और चीन की सीमा के अंदर एक बहुत लंबा समय बिताया। मिज़ो नेशनल फ्रंट के विद्रोह के समय भी इनका प्रदर्शन यादगार था।
अजीत डोभाल ने एक बहुत लंबा समय करीब 7 साल तक पाकिस्तान में अपना धर्म बदलकर गुजारा, इस दौरान इन्होने भारतीय सुरक्षा एजेंसीयों के लिए कई सारी महत्वपूर्ण जानकारीयां भी एकत्रित की।
वह 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी के चीफ के पद से रिटायर हुए हैं। इसके बाद साल 2019 में ये विवेकानंद इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष बने।
साल 2009 से 2011 तक इन्होने “इंडियन ब्लैक मनी अब्रोड इन सीक्रेट बैंक एंड टैक्स हैवन” नाम के बनी रिपोर्ट के संपादन में योगदान दिया और वे बीजेपी के इस अभियान का महवपूर्ण हिस्सा बने।
साल 2014 में अजीत डोभाल के कैरियर का एक अहम मोड आया। जब वह भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त हुये।
साल 2014 में ही अजीत डोभाल ने उन 46 भारतीय नर्सों की रिहाई में महवपूर्ण भूमिका निभाई, जो इराक में फसी हुई थी और जिनके परिवारों ने भी इनसे अपना संपर्क खो दिया था। इसके लिए ये स्वयं इराक गए और गुप्त मिशन पर कार्य किया।
अजीत डोभाल ने सेना प्रमुख के साथ म्यांमार के बाहर चल रहे आतंकवादियों के खिलाफ अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, यह अभियान 50 आतंकवादियों को ढेर करते हुये एक सफल अभियान साबित हुआ था।
अजीत डोभाल को पाकिस्तान के संबंध में भारतीय सुरक्षा नीतियों में बदलाव करने का श्रेय भी प्राप्त है। साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में अजीत डोभाल कि भूमिका को भी अहम माना जाता है, कहा जाता है कि इन्ही की योजना से भारत अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल हुआ है।
साल 2018 में इन्हे स्ट्रेटेजिक पॉलिसी ग्रुप का अध्यक्ष भी न्युक्त किया गया है।
इसके अलावा अभी हाल ही में पुलवामा आतंकी हमला के जवाब में भारतीय वायु सेना द्वारा किए गई जवाबी कार्यवाही में भी अजीत जी की भूमिका को अहम बताया जा रहा है और इसके बाद पाकिस्तान की और से की जाने वाली कार्यवाही के लिए भी हिंदुस्तान की सेना को तैयार रखने की ज़िम्मेदारी में भी इन्होने सेना प्रमुखों के साथ मिलकर कमान संभाली हुई है।
अजीत डोभाल का परिवार :-
अजीत डोभाल ने अनु डोभाल से वर्ष 1972 में शादी की और उनके दो बेटे हैं। जिनका नाम विवेक डोभाल और शौर्य डोभाल है। विवेक डोभाल एक चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक हैं, जो सिंगापुर में रहने वाले एक ब्रिटिश नागरिक हैं। शौर्य डोभाल एक भारतीय राजनयिक हैं।
बताते चलें अजीत डोभाल को भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार (शांति काल) और कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है। इसके साथ ही अजीत, सैन्य सम्मान पाने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं।