उत्तर नारी डेस्क
आज 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के 24वें वर्षगांठ पर पदमपुर स्थित कार्यालय में कोटद्वार महानगर के अध्यक्ष गुलाब सिंह रावत की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड शहीदों के चित्रों पर माल्यार्पण कर उत्तराखण्ड की दिशा व दशा पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं द्वारा विचार रखते हुए कहा राज्य बने 23 वर्ष बीत गये परन्तु शहीदों व राज्य आन्दोलनकारियों के अनुरूप राज्य का निर्माण नहीं हुआ। साथ ही राज्य बनने से पहले जो अधिकार थे वह भी समाप्त हो गए है, जिस जल, जंगल, जमीन उपयोग उत्तराखण्ड वासियों द्वारा होना था उसे भी कड़े कानून होते हुए समाप्त हो गये।
23 वर्षो के बाद भी उत्तर प्रदेश से परिसम्पत्तियों का पूर्णतः बंटवारा नहीं हो पाया है। जिस जल पर उत्तराखण्ड वासियों द्वारा उपयोग किया जाना था उसमें राज्य बनते समय पांच राज्यों की साझेदारी सुनिश्वित कर दी गयी जो 12% बिजली व पानी का अधिकार मिलना था उसका भी बंटवारा नहीं हो पाया। साथ ही उत्तराखण्ड वासियों का मूल निवास था उसे भी स्थायी निवास में बदल दिया गया, जिसमें राष्ट्रीय दलों के सरकारो द्वारा कोई पहल नही की गयी। साथ ही जो लचीला "भू कानून" था उसे भी समाप्त कर दिया गया। जिससे की बाहरी लोगो द्वारा 14 दलों की सरकारों का सह पर खरीद फरोक्त कर दिया गया।
आज की बैठक में जिला पौड़ी प्रभारी महेन्द्र सिंह, केन्द्रीय संगठन मंत्री पंकज उनियाल, पितृ शरण जोशी, प्रकाश बमराड़ा, दिनेश चन्द्रसत्ती, भगवती प्रसाद कण्डवाल, संजू कश्यप, 'शशिकांत, कमलेश कुकरेती, पुष्कर सिंह रावत, अभिमन्यू सिंह रावत, सुरेन्द्र भाटिया, मनोज डबराल, मनोहर सिंह राष्ट्र, चन्द्र सिंह रावत, हरीश बहुखंडी, दलवीर सिंह आदि ने विचार व्यक्त किए।