उत्तर नारी डेस्क
बता दें, कमला देवी बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वाली हैं। वे कुमाऊँ के लोक विधाओं की गायिका हैं। कमला देवी उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर राजुला मालूशाही, जागर, हुड़की बौल, न्यौली, झोड़ा-चांचरी, शकुन आंखर जैसी कई विधाओं को संजोये हुए हैं। लेकिन लोगों की अपनी इस अमूल्य लोक विधा के प्रति बेरुखी और उदासीनता के कारण कमला देवी को वह मंच नहीं मिल पाया जिसकी वो हकदार थी। आज कोक स्टूडियो भारत अपने सीजन-2 में उन्हें एक उचित मंच प्रदान कर रहा है ताकि वो पारम्परिक पहाड़ी लोक संगीत को दुनिया तक पहुंचा सके। इसकी सूचना कोक स्टूडियो भारत ने अपने सोशल मीडिया के माध्यम से दी है।
वहीं, दिग्विजय सिंह परियार नैनीताल जिले के रहने वाले है। उन्होंने अभी तक अपनी खूबसूरत आवाज कई गढ़वाली गीत गए है। उन्होंने ‘रूपसार मोती घुंघुर न बजा छम...’ जैसे गीत को अपनी खूबसूरत आवाज से सजाया है। वहीं, यह उत्तराखण्ड के लोक गीत के लिए सम्मान की बात है कि प्रदेश के दो लोक गायक कोक स्टूडियो भारत सीजन-2 में अपनी प्रस्तुति देंगे।