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तीन बच्चियों के कारण बंद होने से बचा धोनी के गांव का स्कूल, पढ़ें पूरी खबर

उत्तर नारी डेस्क 

पलायन का दंश झेल रहे उत्तराखण्ड के पहाड़ों के गांव सुनसान होते जा रहे हैं। पहाड़ों के तमाम गांवों की तरह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का ल्वाली गांव भी पलायन की मार झेल रहा है। जिसके चलते उनके गांव में पढ़ने तक के लिए बच्चे भी नहीं है। जिस वजह से धोनी के गांव के स्कूल में हमेशा के लिए ताला लगने वाला था। लेकिन गांव की तीन बेटियों की वजह से स्कूल बंद होने से बच गया है। 

बता दें, महेंद्र सिंह धोनी मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक के ल्वाली गांव के रहने वाले हैं। उनका गांव भी पलायन के चलते वीरान पड़ने लगा है। इसी वजह से यहां के स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चे तक नहीं हैं। जिसके चलते प्राइमरी स्कूल बंद होने के कगार पर है। लेकिन, गांव की 7 साल की मेनका बिष्ट, दीक्षा और 8 साल की खुशबू ने स्कूल नहीं छोड़ा। मेनका और दीक्षा जहां कक्षा 2 में पढ़ती हैं, वहीं खुशबू कक्षा 3 की छात्रा है। इन्हीं तीन बेटियों की वजह से गांव का स्कूल बंद होने से बच गया।

स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक पुष्कर चंद ने बताया कि अभी स्कूल में तीन छात्राएं हैं। इनकी वजह से ही स्कूल का संचालन जारी है। यदि यह छात्राएं स्कूल में नहीं होतीं तो बंद हो जाता।

गौरतलब है कि, धोनी के पिता पानसिंह भी 70 के दशक में रोजगार के लिए गांव से पलायन कर गए थे। हालांकि, उन्होंने गांव से नाता बनाए रखा और पूजा-अर्चना के लिए आते-जाते रहते हैं। पलायन की इसी समस्या के कारण गांव में बस 23 परिवार रहते हैं। इनमें 100 से अधिक लोग रहते हैं।

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