उत्तर नारी डेस्क
हरिद्वार : केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार के अंग्रेजी विभाग की सहायकाचार्या डॉ. आशिमा श्रवण संस्कृत के शास्त्रों में निहित ज्ञान-विज्ञान को भारत में ही नहीं अपितु विदेशों तक पहुँचा रही है। अभी उनका शोधपत्र (Research Article) अमेरिका की कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के सहयोग से न्यूयॉर्क में स्थित अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त स्प्रिंगर पब्लिकेशन के जर्नल ऑफ इण्डियन फिलोसॉफी में प्रकाशित हुआ है।
इस जर्नल को स्कोपस द्वारा अपनी सूची में भी सम्मिलित किया गया है। इस जर्नल में विश्व के लब्धप्रतिष्ठित शिक्षाविदों व विचारकों के शोध-लेख ही प्रकाशित होते हैं। इनके शोधपत्र (Research Article) का शीर्षक “विवक्षितवाच्य और अविवक्षितवाच्य ध्वनिसिद्धान्त और पाश्चात्य सिद्धान्त डिफ्रांस का तुलनात्मक अध्ययन” है। इसमें इन्होंने भारत के प्रसिद्ध काव्यशास्त्री आनन्दवर्धन द्वारा रचित ध्वन्यालोक व फ्रांस दार्शनिक जैंकविस दरिदा के डिफ्रांस सिद्धान्त का तुलनात्मक विवेचन करते हुए भारतीय ज्ञान परम्परा की महत्ता को स्थापित किया है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी ऑफ वार्सो, यूनिवर्सिटी ऑफ वार्मिया और इण्टरनेशनल ई. एम. फोर्स्टर सोसाइटी द्वारा पॉलैण्ड में 24 से 26 जून 2024 तक आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार हेतु प्रेषित शोधपत्र (Research Article) ई. एम. फोर्स्टर द्वारा लिखित “पैसेज टू इण्डिया में भरत का रस सिद्धान्त” स्वीकृत हो गया है। जिसके लिये उन्हें पॉलैण्ड आने के लिये निमन्त्रण प्राप्त हो गया है। अब डॉ. आशिमा श्रवण जून में पॉलैण्ड में भारतीय ज्ञान परम्परा का गौरव बढायेंगी।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. बी. के. सिंह देव ने बताया कि यह हमारे महाविद्यालय का गौरव है कि डॉ. आशिमा श्रवण हरिद्वार में स्थित इस शिक्षण संस्था का यश विदेशों तक फैला रही हैं। यह हर्ष का विषय है कि अंग्रेजी विषय होते हुए भी इनके शोध का क्षेत्र संस्कृत साहित्य रहा है। आज सम्पूर्ण विश्व भारतीय ज्ञान परम्परा को जानना चाहता है। आशा है कि डॉ आशिमा श्रवण इसी प्रकार भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढायेंगी। इस अवसर पर डॉ. मञ्जु पटेल, डॉ. रवीन्द्र कुमार, डॉ. आलोक कुमार सेमवाल, डॉ. दीपक कुमार कोठारी, डॉ. प्रमेश कुमार बिजल्वाण, विवेक शुक्ला, मनोज कुमार गिरि, अतुल मैखुरी, जगदीशचन्द्र, डॉ. अंकुर कुमार आर्य, स्वाती शर्मा तथा महाविद्यालय के अन्य कर्मचारियों ने डॉ. आशिमा श्रवण को अपनी शुभकामनाएँ प्रदान की।