उत्तर नारी डेस्क
आज के दौर में उत्तराखण्ड की महिलाएं किसी से कम नहीं; हर क्षेत्र में वह काफी आगे निकल गई हैं। राजनीति हो या साइंस का क्षेत्र या फिर बिजनेस, हर जगह देश की सैकड़ों महिलाओं ने अपनी मेहनत के बल पर मुकाम हासिल किया है। हर घर में एक बिज़नेस वुमन जरूर है। जो अपने दम पर बिजनेस में एक मुकाम बना रही है। महिलाओं ने साबित किया है कि वह किसी से कम नहीं हैं।
ऐसा ही कुछ उत्तराखण्ड की ग्राम प्रधानों ने भी कर दिखाया है। जी हाँ, चार ऐसी महिला ग्राम प्रधानों को 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दिल्ली में सम्मानित किया गया है। देश की जिन 150 जनप्रतिनिधियों को सम्मानित किया गया, उनमें उत्तराखण्ड के देहरादून की मीनू छेत्री, विकासनगर की तबस्सुम इमरान, पौड़ी की मनीषा बहुगुणा और पिथौरागढ़ की ममता बोरा शामिल हैं।
पौड़ी जिले के खिर्सू विकास खंड के ग्राम पंचायत मरखोड़ा की ग्राम प्रधान मनीषा बहुगुणा, अपने गांव के ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बना रहीं हैं। उन्होंने अपने प्रयासों से गांव में 60 से अधिक ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को कंप्यूटर ट्रेनिंग भी दिलाई है।
पिथौरागढ़ की ममता बोरा सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान हैं। पिथौरागढ़ के ननकूड़ी ग्राम पंचायत की ग्राम प्रधान ममता बोरा ने अपनी ग्राम पंचायत को खुले में शौच मुक्त बनाने, ग्राम पंचायतों में सबसे शौचालयों का निर्माण कराने, प्लास्टिक कचरे को कम करने के को लेकर लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं. उन्होंने गांव में सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी करवाया है।
विकासनगर की तबस्सुम इमरान ने अपनी पंचायत में करीब सभी लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाया है। यही वजह है कि अन्य राज्यों के दल उनकी पंचायत में शैक्षिक भ्रमण के लिए आते रहे हैं। तबस्सुम इमरान को इससे पहले भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
सहसपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत पुरोहितवाला की ग्राम प्रधान मीनू छेत्री ने घर घर पानी पहुंचाने का काम किया है। अपनी ग्राम पंचायत में गर्भवती महिलाओं का शत प्रतिशत टीकाकरण कराने के साथ ही घर- घर पेयजल, ग्राम पंचायत में सूखा व गीला कूड़ा सेग्रीगेशन का काम किया।