उत्तर नारी डेस्क
जीव हो या इंसान, सबसे ज्यादा करीब अपनी मां के ही होता है। इस जुड़ाव की कोई सीमा तय करना असंभव है। ऐसे में मां का हमेशा के लिए दूर हो जाना असहनीय दुख पैदा करता है। ऐसे ही एक मामले में करीब 02 माह पूर्व मां का देहांत होने से दुखी 14 वर्षीय बालक घर छोड़ हरिद्वार आ गया था। लावारिस बच्चों की तलाश कर उनकी मदद में जुटी हरिद्वार पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को क्षेत्रिय भ्रमण के दौरान जब यह बालक मिला तो उसकी हालत फटे पुराने कपड़ों और भूखे पेट काफी दयनीय थी।
कोमल हृदय वाले अभिभावक की तरह टीम मैंबर ने जब बालक से प्यार से पेश आकर उसे खाना-पीना खिलाया तो बच्चा भी भावुक हो गया और उसने मां के देहांत से लेकर घर से भागकर हरिद्वार आने और यहां गुजर-बसर के दौरान पेश आयी दिक्कतों की सारी आपबीती बयान कर दी।
A.H.T.U. हरिद्वार ने बाल कल्याण समिति हरिद्वार के आदेश पर बालक को ज्वालापुर स्थित खुला आश्रय गृह में संरक्षण दिलवाया और मानवीय भावनाओं को सर्वोपरी रख बच्चे के परिजनों की तलाश शुरु की।
बालक से टीम सदस्यों के भावनात्मक जुड़ाव के चलते लगातार की कोशिश एवं विभिन्न आयामों से जानकारी जुटाने के बाद आखिरकार बंदायु उत्तर प्रदेश में रहने वाले बालक के पिता उमेश चंद्र यादव से बात हो पायी।
पत्नी के देहांत के गम के बाद परिवार के बड़े लड़के का गायब होना इस बच्चे के पिता के लिए किसी झटके से कम न था। आस पड़ोस और रिश्तेदारी में बच्चे को तलाशने के बाद भी निराशा हाथ लगने के बाद बेटे के हरिद्वार में होने की खबर मिलना उमेश के साथ-साथ पूरे परिवार के लिए बेहद सुकून भरा पल था।
आपाधापी में बच्चे को लेने उमेश जब हरिद्वार पहुंचे तो A.H.T.U. ने नियमानुसार विधिक कार्यवाही कर बालक को आज उनके सुपुर्द किया। खुशी और संतोष के इस साझा पल में भावुक उमेश ने अपने बेटे को पहले कसकर गले लगाया और फिर नयनों में अश्रुधार लिये हरिद्वार पुलिस का आभार व्यक्त किया।