डॉ. शोभा रावत
14 सितंबर हिन्दी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। जैसा कि सभी को विदित है कि 14 सितंबर सन 1949 में हिन्दी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिला। संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार भारतीय गणराज्य की राजभाषा हिन्दी होगी और इसकी लिपि के रूप में देवनागरी लिपि का उपयोग होगा। साथ ही कई प्रावधानों का उल्लेख किया गया। संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक इसी संदर्भ में चर्चा की गई।
विद्वतजन कहते हैं कि हिन्दी दिवस, हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाड़ा मानने से क्या होगा? मेरा मानना है कि यदि हम उपरोक्त को मानते हैं तो वर्ष भर राजभाषा, मातृभाषा, संपर्क भाषा के प्रति एक उत्साह व सकारात्मकता बनी रहती है। अपना जन्मदिन भी हम वर्ष में एक बार ही मानते हैं उसका प्रभाव हम वर्ष भर देख सकते हैं। हिन्दी दिवस मनाने के फलस्वरुप हम ऊर्जावान रहते हैं। हम इसके विकास व संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।
भाषा कोई भी हो वह विचारों एवं भावों का आदान-प्रदान करती है।हिन्दी हमारे लिए एक भाषा मात्र नहीं है। हिन्दी हमारी मातृभाषा है। अन्य भाषाओं को सीखना ज्ञान को बढ़ाना है परंतु अपनी मातृभाषा के प्रति लगाव सदैव रहना चाहिए। हमारे मन मस्तिष्क में जो भी विचार आते हैं सर्वप्रथम वह अपनी मातृभाषा में ही होते हैं।
हिन्दी भाषा को रोजगार से जोड़ना अति आवश्यक है क्योंकि नई पीढ़ी या युवा वर्ग अपनी मातृभाषा को अनदेखा कर अन्य भाषाओं का ज्ञान अर्जन इसलिए भी करता है कि जिस भाषा के माध्यम से उसे रोजगार की संभावना दीखती हैं वह उसी ओर आकर्षित होता है। नए पाठ्यक्रमों में भी रोजगार परक हिन्दी आने से रोजगार की संभावनाएं और भी बढ़ जाती हैं। प्रयोजनमूलक हिन्दी, सृजनात्मक लेखन, जनसंचार के माध्यमों में मुद्रण, इलेक्ट्रॉनिक, दृश्य एवं श्रव्य माध्यम इत्यादि में रोजगार के अपार अवसर हैं, जिसके अंतर्गत रेडियो, टीवी मुद्रण इत्यादि में संपादक, उद्घोषक, मीडिया, शिक्षक, पत्रकारिता, साहित्य, संपादन इत्यादि में रोजगार के द्वार खुले हैं। हिन्दी भाषा स्वयं में एक समर्थ भाषा है यदि हम देवनागरी लिपि को देखें तो वह संपूर्ण ढंग से वैज्ञानिक लिपि है।
भारत के अतिरिक्त ऐसे कई देश हैं जहां हिंदी का वर्चस्व है, जैसे फिजी, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम, भूटान इत्यादि। विकसित राष्ट्रों ने भी अपने विश्वविद्यालयों में हिंदी को स्थान दिया है यह इस बात का द्योतक है कि हिन्दी भाषा वैश्विक परिवेश में भी अपना स्थान बना रही है। यह हमारे लिए बहुत ही सकारात्मक संकेत हैं। हिन्दी भाषा के संरक्षण के लिए अंग्रेजी शिक्षा में हिन्दी का समावेश अति आवश्यक है। साहित्य और मीडिया के माध्यम से वर्तमान में डिजिटल प्लेटफॉर्म जो हिंदी सामग्री का निर्माण कर रहे हैं साहित्य एवं सांस्कृतिक आयोजन, प्रतियोगिताओं इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रयासों से हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार को बढ़ावा मिल रहा है। जो कि हिन्दी भाषियों, हिन्दी प्रेमियों, हिन्दी के विद्यार्थियों एवम शोधार्थियों के लिए बहुत ही शुभ संकेत है। हिन्दी दिवस के दिन यह संकल्प अवश्य लें कि अपनी मातृभाषा के संरक्षण एवम संवर्धन के प्रति हम प्रतिबध्द रहें।