उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के होनहार युवाओं का भारतीय सेना में जाना बचपन से देखा एक सपना होता है। भारतीय सेना में शामिल होने के सपने को साकार करने के लिए कई युवा जी तोड़ मेहनत कर सेना में जगह बनाते है और राज्य का नाम गौरवान्वित करते हैं। आज ऐसे ही एक युवा ने अफसर बनकर अपने परिजनों का मान बढ़ाया है।
आपको बता दें, भारतीय सैन्य अकादमी में 456 जांबाज कैडेट्स भारतीय सेना की मुख्यधारा में जुड़ गए है। इसके साथ ही परेड में 35 विदेशी कैडेट्स ने भी पास आउट होकर अपनी-अपनी सेनाओं की सेवा करने का संकल्प लिया। इन्हीं में से एक है उत्तराखण्ड के जेंटलमैन कैडेट्स तरुण मंमगाई, जो पासआउट होकर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। विकासखंड गैरसैंण के अंतर्गत कुनीगाड क्षेत्र के कोठा गांव निवासी तरुण मंमगाई के भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने पर क्षेत्र में खुशी का माहौल है।
कोठा गांव में जन्मे तरुण गांव से सेना में अफसर बनने वाले दूसरे युवा हैं,जबकि परिवार के भाई संजय मंमगाई सेना में मेजर के रूप में सेवाएं दे रहे हैं। तरुण के पिता महेशानंद ममगाई सेना में सूबेदार के पद पर तैनात हैं,माता रेखा देवी ग्रहणी के रूप में घर संभालती हैं। छोटी बहन कृति मंमगाई मेडिकल की तैयारी कर रही है। 76 वर्षीय दादा मोहन दत्त मंमगाई बीआरओ से सेवानिवृत्त होकर गांव में ही रहते हैं।
बताते चलें, तरुण की शुरुआती पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल दिल्ली व इंटरमीडिएट की पढ़ाई आर्मी पब्लिक स्कूल मऊ, इंदौर,मध्य प्रदेश से हुई है। जिसके बाद कंप्यूटर साइंस से बीटेक भी किया,लेकिन सेना में जाने की दृढ़ इच्छा शक्ति से प्रेरित तरूण जब पहले दो प्रयासों में सफल नहीं हुए तो एक बार फिर नई ऊर्जा के साथ तीसरे प्रयास में जुट गए,उनके कठिन परिश्रम का परिणाम उन्हें सेना में अधिकारी बनने के रूप में मिला है। 2 वर्ष पूर्व गांव में भंडारे में शामिल होना आए तरुण ने तब गांव के देवी मंदिर में परिवार के साथ दर्शन कर सेना में सेवा करने की मन्नत मांग कर,आशीर्वाद लिया था।
तरूण के पिता महेशानंद मंमगाई ने बताया की परिवार के सैन्य माहौल ने हमेशा तरुण को सेना में जाने के लिए प्रेरित किया। तरुण के चाचा मीडियाकर्मी विजय मंमगाई ने बताया की तरूण के अंदर,सेना में जाने का जो जुनून था,जिसे उसने अपनी लगन और मेहनत के बल पर साकार कर दिखाया है।