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दिल्ली विधानसभा चुनाव के दंगल में 10 उत्तराखण्डी

उत्तर नारी डेस्क 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में चुनावी दंगल जारी है। सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। साथ ही सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है और अपने उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार दिया। इस बार 10 उत्तराखंडियों ने चुनावी मैदान में ताल ठोक दी है। बीजेपी ने यमुनापार से दो कैंडिडेट को टिकट दिए हैं। कांग्रेस ने भी हरि नगर से उत्तराखंडी कैंडिडेट उतारा है। महरौली विधानसभा से दो पहाड़ी मैदान में उतर गए हैं, जिनमें एक बहुजन समाज पार्टी (BSP) से हैं। पांच उम्मीदवार निर्दलीय उतरे हैं। 


बीजेपी ने मोहन सिंह बिष्ट और रवींद्र सिंह नेगी को दिया मौका

बीजेपी ने पांच बार करावल नगर से विधायक रहे मोहन सिंह बिष्ट को अबकी बार मुस्तफाबाद सीट से उतारा है। मुस्तफाबाद का इलाका 1998 और 2008 तक करावल नगर विधानसभा में ही था, तो बिष्ट यहां के भी एमएलए थे। परिसिमन के बाद 2008 में मुस्तफाबाद अलग विधानसभा बन गई। AIMIM के उम्मीदवार ताहिर हुसैन भी इसी सीट से उम्मीदवार हैं।

पटपड़गंज से बीजेपी ने रवींद्र सिंह नेगी को फिर उतारा है, जो विनोद नगर से पार्षद हैं। कांग्रेस ने पूर्व विधायक और प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी को टिकट दिया है। आप ने शिक्षक अवध ओझा पर भरोसा जताया है। कांग्रेस ने हरि नगर से प्रेम बल्लभ (प्रेम शर्मा) को उतारा है। आप ने कैंडिडेट बदल सुरेंद्र सेतिया को टिकट दिया है, जो पिछली बार कांग्रेस से लड़े थे। मौजूदा आप विधायक राजकुमारी ने भी पर्चा भरा है।


बसपा ने योगेश्वर सिंह बिष्ट को बनाया उम्मीदवार

महरौली सीट पर बीजेपी के बागी योगेश्वर सिंह बिष्ट बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर उतरे हैं। वह बीजेपी युवा मोर्चा में प्रदेश पदाधिकारी और आरएसएस में विभिन्न दायित्वों पर रहे हैं। इसी सीट पर महावीर सिंह ने भी निर्दलीय पर्चा दाखिल किया है। इनके अलावा बुराड़ी से प्रेमा रावत, करावल नगर से अजय सिंह नेगी, संगम विहार से सुधीर नेगी और देवली (सुरक्षित) से बचन राम भी चुनावी मैदान में उतरे हैं। बीजेपी ने गठबंधन के तहत देवली सीट लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान) को तो बुराड़ी जनता दल (यू) को दी है।


5 फरवरी को है मतदान

दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा का चुनाव एक ही चरण में 5 फरवरी को होगा और मतगणना 8 फरवरी को होगी। पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 62 तो बीजेपी को 8 सीट पर जीत मिली थी। वहीं कांग्रेस का उस चुनाव में खाता भी नहीं खुल पाया था।

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