उत्तर नारी डेस्क
बता दें, अंजना रावत ने वार्ड नंबर 21 से पार्षद पद का चुनाव लड़ा, जिसमें उन्होंने पूर्व सभासद और भाजपा की वरिष्ठ नेत्री प्रमिला भंडारी को पटकनी देते हुए अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कविता रमोला को 92 वोटों से हराकर यह मुकाम हासिल किया है। अंजना को 272 वोट मिले।
पिता के देहांत के बाद संभाली जिम्मेदारी
बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली अंजना रावत के पिता का वर्ष 2011 में देहांत हो गया था। पिता के निधन के बाद अंजना के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी आ गयी। पिता के देहांत के बाद अंजना ने अपने पिता की चाय की दुकान का संचालन शुरू किया। इसी से वह परिवार का भरण पोषण और अपने भाई की पढ़ाई का खर्च सहित बहन की शादी भी की। वहीं, अंजना रावत उच्च शिक्षित भी हैं। अंजना ने एमए और एमएसडब्ल्यू उत्तीर्ण है।
स्थानीय लोग बने अंजना की मजबूत ढाल
तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित अंजना रावत अब चाय की दुकान से राजनीति के मुकाम तक पहुंची हैं। नगर निगम श्रीनगर के पहले चुनाव में वह पार्षद पद पर विजयी हुई हैं। इस चुनाव में स्थानीय लोग ही उसकी मजबूत ढाल भी बने। जिस स्थल पर वह चाय की दुकान संचालित करती है उसी क्षेत्र से वह पार्षद भी बनी हैं। क्षेत्र के लोगों ने उसे पार्षद चुनाव लड़ने को प्रोत्साहित किया। उसके चुनाव खर्च से लेकर उसके पक्ष में वोट कर उसे इस मुकाम तक पहुंचाने में स्थानीय लोगों ने अहम भूमिका भी अदा की।