उत्तर नारी डेस्क
21 फ़रवरी को कोटद्वार के नगर पालिका प्रेक्षागृह में धाद लोक भाषा एकांश कोटद्वार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें लोक कलाकार स्वर्गीय रामरतन काला के लोक संसार पर विस्तृत चर्चा की गयी। मुख्य अतिथि शैलेन्द्र सिंह रावत (पूर्व विधायक एवं वर्तमान मेयर, कोटद्वार, नगर निगम) द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीनगर से पधारे वरिष्ठ रंगकर्मी और निर्देशक श्रीश डोभाल ने वर्तमान रंगमंच और रामरतन काला की अभिनय कला पर अपना वक्तव्य देते हुए कहा कि आज के समय में रंगमंच को मजबूत बनाने के लिए रामरतन जैसे कलाकार की ज़रुरत है। नई पीढ़ी के लिए वे रंगमंच और अभिनय की एक पाठशाला थे।
आकाशवाणी के पूर्व निदेशक चक्रधर कंडवाल ने अपने वक़्तव्य में रामरतन काला की अभिनय कला को गढ़वाल की संस्कृति के विकास में सहयोगी बताते हुए कहा कि वे धरती से जुड़े कलाकार थे।
रंगकर्मी और लेखक यशोधर डबराल ‘गमल्दा’ ने रामरतन काला के साथ बिताए गए समय की यादों को साझा करते हुए कहा कि काला जी पूरी तरह से लोक से जुड़े कलाकार थे। उनकी अभिनय कला जितनी उम्दा थी। उससे ज़्यादा उनमें समाज और समय को पढ़ने की समझ थी। कई दशक पहले उन्होंने अपने गीत ‘ब्योली खुजै द्यावा’ के माध्यम से बता दिया था कि भविष्य में हमारे समाज में बेटों के लिए बहू ढूंढना मुश्किल होगा…उनका गूढ़ सामाजिक चिंतन ये बताता है कि वे समाज के आख़री पायदान पर खड़े व्यक्ति की तरह सोच रखते हुए कला के शीर्ष तक पहुँच गए थे।
अनसूया प्रसाद डंगवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्कृति विभाग के कलाक़ारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुति भी की गयी। अनिल बिष्ट के गाए देवी जागर पर दर्शक दीर्घा में बैठे सभी दर्शक मंच के सामने आकर नाचने लगे।
धाद लोक भाषा एकांश, कोटद्वार की अध्यक्षा रिद्धि भट्ट द्वारा कुशल मंच संचालन किया गया। सचिव राजेश खत्री कार्यक्रम की व्यवस्था में व्यस्त रहे। जिससे आमंत्रित दर्शक कार्यक्रम का अच्छी प्रकार आनंद ले पाए। कार्यक्रम के अंत में हाल ही में दिवंगत लोक कलाकार घनानन्द गगोड़िया और रामरतन काला जी को श्रद्धांजलि दी गयी।