उत्तर नारी डेस्क
पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर ऋषिकेश श्री देव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के विवेकानंद प्रेक्षागृह में सत्र 2024-25 के पीएचडी शोधार्थियों के लिए इंडक्शन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ समस्त अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके उपरांत सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत परिसर निदेशक प्रो.एम.एस. रावत के द्वारा किया गया। उन्होंने अपने स्वागत उद्बोधन में बताया की हमें अनुसंधान के क्षेत्र में नए उद्देश्यों की ओर बढ़ना होगा। हमें विविध पृष्ठभूमि के युवाओं को अनुसंधान में शामिल करना होगा, जिससे हमें गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, हमें पीएचडी में डिजिटल तकनीकों का उपयोग को बढ़ावा देना होगा।
इसके पश्चात निदेशक शोध अध्ययन प्रो. अहमद परवेज़ द्वारा आज के कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया गया। प्रो. परवेज़ ने पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से शोध कार्यक्रम की रूपरेखा महत्व के बारे में बताया साथ ही शोधार्थियों को आवश्यक दिशा निर्देश एवं शोध के लिए मूलभूत आवश्यकताओं के बारे में विस्तार से चर्चा की। इसी क्रम में परिसर के कला संकाय अध्यक्ष प्रो. डी.सी. गोस्वामी ने अपने सम्बोधन में कुलपति महोदय एन.के. जोशी और रिसर्च डायरेक्टर प्रो. अहमद परवेज को विशेष धन्यवाद दिया। उन्होंने छात्रों और शोधार्थियों को प्रोत्साहित किया और कहा कि विश्वविद्यालय की कैंपस लाइब्रेरी और जर्नल्स की सुविधाएं शोध कार्य में मदद करेंगी। परिसर एवं महाविद्यालयों में शोध कार्य प्रारंभ करने के लिए धन्यवाद दिया।
वाणिज्य संकाय अध्यक्ष प्रो. कंचन लता सिन्हा ने अपने सम्बोधन में पीएचडी छात्रों को पाठ्यक्रम और शोध प्रकाशन के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एक अच्छा शोधार्थी बनने के लिए, छात्रों को अपने विषय के बारे में गहराई से जानना होगा और अपने शोध कार्य को प्रकाशित करने के लिए तैयार रहना होगा। विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रो. जी. के. ढींगरा ने कहा कि एक अच्छा शोधार्थी बनने के लिए, छात्रों को अपने शोध कार्य की विधि को सावधानी से चुनना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि शोधार्थियों के लिए समय समय पर कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जाना चाहिए, जिससे छात्रों को अपने शोध कार्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। प्रो. ढींगरा ने पेटेंट के महत्व पर भी जोर दिया, और कहा कि छात्रों को अपने शोध कार्य को पेटेंट करने और समीक्षा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
इसी क्रम में dean student welfare प्रो. प्रशांत सिंह ने कहा कि पीएचडी कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को अनुसंधान के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना है, जिससे वे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर सकें। प्रो. सिंह ने लागू शोध, गुणात्मक अनुसंधान, और अनुसंधान के सामाजिक महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि अनुसंधान का उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना नहीं है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करना भी है।
तदुपरांत विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने नवप्रवेशित शोधार्थियों को शुभकामनाएं दी और शोध की संभावनाओं, महत्व एवं भविष्य में होने वाले लाभों से उन्हें अवगत कराया। कुलपति महोदय ने अपने सम्बोधन में अनुसंधान के क्षेत्र में बहुविषयक दृष्टिकोण के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में बहुविषयक दृष्टिकोण से हमें विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, उन्होंने एमओयू के महत्व पर भी जोर दिया, जिससे विश्वविद्यालय और उद्योग जगत के बीच सहयोग बढ़ सकता है। कुलपति महोदय ने मार्गदर्शकों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जो छात्रों को उनके अनुसंधान कार्य में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। उन्होंने शोध और डेटा में एआई टूल्स के उपयोग पर भी जोर दिया, जिससे अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। आज के इस कार्यक्रम में विश्वविधायलय परिसर की अंग्रेजी विभाग की प्राधापिका डॉ पारुल मिश्रा की कविता संग्रह पुस्तिका "आधे- आधे चेहरे" का विमोचन कुलपति महोदय द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के अंत में अपर निदेशक शोध अध्ययन प्रो. स्मिता बडोला ने परिसर में उपस्थित समस्त मुख्य अतिथियों, संकाय अध्यक्षों, विभाग अध्यक्षों, प्रध्यापकगणो एवं विभिन्न महाविद्यालय से आए नोडल अधिकारियों और सभी शोधार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन उपनिदेशक डॉ.विभा कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक शोध अध्ययन प्रो. दीपा शर्मा, सहायक निदेशक ए. बी .त्रिपाठी सहित विश्वविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।