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उत्तराखण्ड की 22 साल की डॉ. वंशिता जोशी बनीं भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, पराक्रम के वह किस्से देश-विदेश तक फैले हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि यह देवभूमि हर साल सेना में सबसे अधिक युवाओं को भेजती है। दरअसल, उत्तराखण्डी युवाओं में देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है। देश के लिए सेवा करने का जज़्बा पाले न जाने कितने ही लोग इस देवभूमि से जाते हैं और मातृभूमि की रक्षा करते हैं। और उसके बाद जब हम यह सुनते हैं कि उत्तराखण्ड की बेटियां भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना में बड़े पदों पर काबिज हैं तो गर्व से छाती चौड़ी हो जाती है। ऐसे ही राज्य का नाम रौशन करने वाली पहाड़ की बेटी से आज हम आप सब का परिचय कराएंगे, जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला की डॉक्टर वंशिता जोशी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनी है। उनकी यह सफलता पूरे क्षेत्र और जनपद के लिए सम्मान और गर्व की बात है। 

बता दें, महज 22 साल की उम्र में सीमांत की बेटी डॉ. वंशिता जोशी सेना में लेफ्टिनेंट बनीं हैं। दो दिन पूर्व पूणे में आयोजित पास आउट परेड में माता-पिता ने वंशिता जोशी के कंधों पर स्टार लगाकर खुशी जाहिर की। वंशिता 4 साल के प्रशिक्षण के बाद सेना में लेफ्टिनेंट बनी है जिन्हें चंडीगढ़ कमांड हॉस्पिटल में नियुक्ति मिली है। वंशिता के पिता दिनेश कुमार जोशी वर्तमान में राउमावि नयागांव लछमपुर हल्द्वानी में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं जबकि वंशिता की माता प्रेमलता जोशी गृहणी है। वंशिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा आर्मी प्राइमरी स्कूल धारचूला और हाई स्कूल तथा इंटरमीडिएट की शिक्षा निर्मला सीनियर सेकेंडरी स्कूल काठगोदाम नैनीताल से प्राप्त की है। वंशिता ने हाई स्कूल में वर्ष 2018 में ऑल इंडिया में 99.2% हासिल कर चौथा स्थान प्राप्त किया था जबकि प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया। वंशिता ने 12वीं के बाद नीट परीक्षा में सफलता हासिल की और वर्ष 2020 में आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज पुणे में उनका चयन हुआ था जिसकी बदौलत उन्होंने 4 साल के प्रशिक्षण के बाद स्थाई कमीशन प्राप्त किया और उनकी तैनाती चंडी मंदिर चंडीगढ़ के कमांड अस्पताल में हुई। वंशिता का छोटा भाई निखिल जोशी 12वीं में अध्यनरत है। वंशिता ने अपनी इस विशेष उपलब्धि का श्रेय अपने परिजनों समेत समस्त गुरुजनों को दिया है।

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