उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड में अवैध मदरसों के खिलाफ जिला प्रशासन ताबड़तोड़ कार्रवाई कर उसको सील और ध्वस्त करने की कार्रवाई कर रहे हैं। कुमाऊं के सबसे बड़े शहर हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में कई अवैध मदरसा संचालित होने के शिकायत और जांच के बाद जिला प्रशासन ने रविवार को बड़ी कार्रवाई की है। जहां अवैध रूप से संचालित मदरसों को सील करने की कारवाई की गई है। प्रशासनिक कार्रवाई में अभी तक तीन मदरसे सील किए गए हैं, जबकि अभी भी अभियान जारी है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों के अनुपालन में हल्द्वानी नगर क्षेत्र के अंतर्गत बिना पंजीकरण के अवैध रूप से संचालित मदरसों के खिलाफ जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई जारी है। इस अभियान का नेतृत्व अपर जिलाधिकारी (एडीएम) विवेक कुमार रॉय ने किया, जिनकी अगुवाई में प्रशासनिक टीम द्वारा अवैध मदरसों की सीलिंग कार्यवाही अमल में लाई जा रही है।
जिला प्रशासन की विशेष टीम ने रविवार को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में कार्यवाई करते हुए अवैध मदरसों की पहचान की और उन्हें तुरंत सील कर दिया। यह कार्रवाई सरकार द्वारा निर्धारित शिक्षा संबंधी नियमों एवं सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने वाले संस्थानों के खिलाफ की गई है। एडीएम विवेक कुमार रॉय ने बताया कि इन मदरसों का संचालन बिना किसी पंजीकरण या अनुमति के किया जा रहा था, जो कि उत्तराखंड शिक्षा नियमावली के तहत गैरकानूनी है। बताया लाइन नंबर 2,4 और किदवई नगर में बिना पंजिकृत तीन अवैध मदरसों को सील किया गया है। उन्होंने कहा, “प्रशासन की ओर से लगातार ऐसे अवैध शैक्षणिक संस्थानों पर नजर रखी जा रही है। जो भी संस्थान बिना अनुमति के चल रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”यह कार्रवाई मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा हाल ही में जारी किए गए निर्देशों के अनुरूप की गई है, जिसमें राज्य में अवैध शिक्षण संस्थानों, विशेषकर धार्मिक शिक्षा केंद्रों पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए थे। सरकार का मानना है कि बिना पंजीकरण वाले मदरसे एवं अन्य शिक्षण संस्थान सुरक्षा एवं शैक्षणिक मानकों का उल्लंघन कर सकते हैं, जिससे छात्रों के हितों को खतरा हो सकता है।
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह अभियान निरंतर जारी रहेगा और अन्य क्षेत्रों में भी ऐसे ही अवैध संचालित शिक्षण संस्थानों की जांच की जाएगी। साथ ही, अभिभावकों से अपील की गई है कि वे अपने बच्चों को केवल मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में ही भेजें ताकि उनकी सुरक्षा एवं शिक्षा का स्तर सुनिश्चित हो सके।