उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड सरकार ने राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से क्षतिग्रस्त परिसंपत्तियों की त्वरित मरम्मत, पुनर्निर्माण एवं आवश्यक जनसुविधाओं की शीघ्र बहाली के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को अब पहले की तुलना में कई गुना अधिक वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। इस आशय का एक शासनादेश राज्य सरकार द्वारा जारी कर दिया गया है।
राज्य के सचिव आपदा प्रबंधन विनोद सुमन द्वारा जारी इस शासनादेश में स्पष्ट किया गया है कि अब से जिलाधिकारियों (DMs) को आपदा राहत कार्यों के लिए 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये तक की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति देने का अधिकार होगा।
वहीं मंडलायुक्तों को 10 लाख रुपये से 50 लाख रुपये तक की स्वीकृति का अधिकार था, जिसे अब 1 करोड़ रुपये से 5 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है। राज्य सरकार के इस फैसले का उद्देश्य आपदा के बाद राहत और पुनर्निर्माण कार्यों में तेजी लाना है। अब जिलास्तर और मण्डलस्तर पर ही बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति मिल सकेगी, जिससे समय की बचत होगी और निर्णय प्रक्रिया अधिक कुशल होगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस निर्णय पर जानकारी देते हुए कहा कि,“हमारा उद्देश्य है कि प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रभावित जनता को त्वरित राहत मिल सके। मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को अधिक अधिकार देने से स्थानीय स्तर पर निर्णय तेजी से होंगे और पुनर्निर्माण कार्यों में रफ्तार आएगी। यह कदम आपदा प्रबंधन को अधिक सशक्त और प्रभावी बनाएगा।”
यह संशोधन पूर्व में राज्य कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार किया गया है। अब एस.डी.आर.एफ. (State Disaster Response Fund) के अंतर्गत आने वाले मानकों के तहत जिलों और मंडलों में सीधे कार्य स्वीकृत किए जा सकेंगे।