उत्तर नारी डेस्क
सावन मास की हरियाली अमावस्या इस साल 24 जुलाई को मनाई जा रही है। अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करना बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की 15वीं तिथि को अमावस्या के रूप में मनाया जाता है।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने व स्नान-दान करने से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति हो सकती है। बात करें, अमावस्या मुहूर्त की तो यह 24 जुलाई को देर रात 2 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है।
हरियाली अमावस्या मुहूर्त :-
सावन माह की अमावस्या तिथि 24 जुलाई को देर रात 2 बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 25 जुलाई को रात 12 बजकर 40 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए सावन की हरियाली अमावस्या गुरुवार, 24 जुलाई को मनाई जाएगी।
सावन में आने वाली हरियाली अमावस्या का भी विशेष महत्व माना गया है। इस तिथि पर आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए, ताकि महादेव की कृपा आपके ऊपर बनी रहे।
अमावस्या के दिन खानपान के संबंधित नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दिन लहसुन-प्याज के सेवन से भी परहेज करें और सात्विक भोजन करें। इस बातों का ध्यान रखने से आपको शुभ परिणाम मिल सकते हैं।
24 जुलाई को पड़ने वाली श्रावण माह की अमावस्या तिथि क्यों है खास ?
हर माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। क्योंकि सावन माह में पड़ने वाली अमावस्या तिथि पर दान और पितरों का तृपण करने से शिव जी कृपा भी प्राप्त होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
हरियाली अमावस्या उपाय :-
हरियाली अमावस्या के दिन सुबह स्नान करें और शिवलिंग का जलाभिषेक करें। हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर सफेद चीजें अर्पित करें।
श्रावण माह की अमावस्या के दिन चावल, चीनी, आटा, नमक, दूध, दही का दान करना शुभ होता है। इन चीजों का दान किसी ब्राह्मण को करें या किसी जरूरतमंद को दें।
पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्रावण माह की अमावस्या तिथि पर छाता, जूते, चप्पल, कपड़ों आदि जरूरत की चीजों का दान करें।
हरियाली अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। अगर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना संभव ना हो तो घर में नहाने के पानी में डाल कर स्नान करें।
रात के समय पूजा की थाली में ऊँ अक्षर बनाकर महालक्ष्मी यंत्र रखें और विधिपूर्वक उसकी पूजा-अर्चना करें। इससे घर में लक्ष्मी का वास होता है।
हर माह की अमावस्या तिथि हमारे पितृरों को समर्पित होती है। इसलिए पितृरों का आशीर्वाद पाने के लिए और उनकी कृपा आपके और परिवार पर बनी रहे। इसके लिए जरूरी है अमावस्या तिथि पर दान पुण्य का काम करना। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है।