उत्तर नारी डेस्क
माता लक्ष्मी से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी:-
हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के रक्षाबंधन सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बलि की राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था। भगवत पुराण और विष्णु पुराण के आधार पर यह माना जाता है कि जब भगवान विष्णु ने राजा बलि को हरा कर तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो बलि ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्राह किया।
भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गये। हालाँकि भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी को भगवान विष्णु और बलि की मित्रता अच्छी नहीं लग रही थी, अतः उन्होंने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया। इसके बाद माँ लक्ष्मी ने बलि को रक्षा धागा बाँध कर भाई बना लिया। इस पर बलि ने लक्ष्मी से मनचाहा उपहार मांगने के लिए कहा। इस पर माँ लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को इस वचन से मुक्त करे कि भगवान विष्णु उसके महल मे रहेंगे। बलि ने ये बात मान ली और साथ ही माँ लक्ष्मी को अपनी बहन के रूप में भी स्वीकारा।
द्रौपदी और श्रीकृष्ण से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी :-
रक्षाबंधन से जुड़ी इस कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण के हाथ में चोट लग गई थी जिससे लगातार खून बह रह था तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया, जिससे उनका खून बहना रुक गया। भगवान कृष्ण ने इस प्रेम और विश्वास के बदले द्रौपदी को उनकी रक्षा का वचन दिया। बाद में जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने की कोशिश की थी तो श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की थी। यह कथा रक्षाबंधन के रक्षा सूत्र के महत्व को दर्शाती है।
इंद्र और इंद्राणी से जुड़ी रक्षाबंधन की कहानी :-
भविष्य पुराण के अनुसार जब देवासुर संग्राम में इंद्र असुरों से हार रहे थे, तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने एक रक्षा सूत्र तैयार करके इंद्र की कलाई पर बांधा। जिससे इंद्र देव ने युद्ध में विजय प्राप्त की। कहा जाता है कि इस घटना के बाद से ही रक्षासूत्र बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। कालांतर में यह त्योहार भाई-बहनों का त्योहार बन गया। आज के समय में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुरक्षा की कामना करती हैं।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त :-
पुरोहितों के अनुसार, नौ अगस्त को सुबह 05 बजकर 47 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ हो जाएगा, जो दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। यह पूरा समय राखी बांधने के लिए अत्यंत श्रेष्ठ है। पूर्णिमा तिथि का मान दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक होने से इस अवधि में राखी बांधना विशेष लाभकारी माना गया है।
इसके अतिरिक्त भी दिन में कई शुभ मुहूर्त रहेंगे। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:22 से 05:04 बजे तक, अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक और शाम के समय गोधूलि वेला का मुहूर्त 07:06 से 07:27 बजे तक रहेगा। इन मुहूर्तों में भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।