उत्तर नारी डेस्क
जो भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास को और बढ़ता है, जो भाई-बहन के अटुट प्रेम की डोर को हमेशा जोड़े रखता है, जो भाई की लम्बी उम्र की कामना करना सिखाता हैं और बहन की जीवन भर रक्षा करने का वचन दिलाता है वही है रक्षाबंधन का त्योहार।
जी हाँ, बता दें कि भाई बहन के खूबसूरत रिश्ते को समर्पित त्यौहार रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। ये त्यौहार हर वर्ष श्रावण मास में मनाया जाता हैं। इस दिन बहनें अपने प्यारे भाई को टीका करती हैं और उसकी कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं (जिसे हम राखी कहते है) और उनकी सुखी जीवन की कामना करती है। वहीं, भाई अपनी बहनों को उनकी रक्षा का वचन और उपहार देते हैं। इस दिन हर तरफ खुशनुमा माहौल रहता हैं। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के रक्षाबंधन सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बलि की राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था। वहीं ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार भद्रा का अशुभ काल सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगा, जिससे बहनें पूरे दिन राखी बांध सकेंगी।
क्या होता है भद्रा काल?
भद्रा शनि देव की बहन का नाम है। जो भगवान सूर्य और माता छाया की संतान है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भद्रा का जन्म दैत्यों के विनाश के लिए हुआ था। ऐसा माना जाता है रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी जिसकी वजह से रावण का अंत भगवान राम के हाथों हुआ। इसीलिए किसी भी शुभ काम को करते समय इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि भद्रा काल ना चल रहा हो।
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त
पुरोहितों के अनुसार, नौ अगस्त को सुबह 05 बजकर 47 मिनट से सर्वार्थ सिद्धि योग प्रारंभ हो जाएगा, जो दोपहर 2 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। यह पूरा समय राखी बांधने के लिए अत्यंत श्रेष्ठ है। पूर्णिमा तिथि का मान दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक होने से इस अवधि में राखी बांधना विशेष लाभकारी माना गया है।
इसके अतिरिक्त भी दिन में कई शुभ मुहूर्त रहेंगे। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:22 से 05:04 बजे तक, अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:00 बजे से 12:53 बजे तक और शाम के समय गोधूलि वेला का मुहूर्त 07:06 से 07:27 बजे तक रहेगा। इन मुहूर्तों में भी बहनें अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं।
रक्षाबंधन के दिन रखें इन बातों का ध्यान :-
आध्यात्मिक गुरु ने बताया, रक्षाबंधन वाले दिन जब आप सुबह तैयार होते हैं तो उस दिन काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। काले कपड़ों से नकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है। जब आप भाई का टीका करती है तो ध्यान रखना है कि भाई का सिर रूमाल से ढका हो। एक बात का ख्याल और रखना है कि भाई का चेहरा दक्षिण दिशा की तरफ न हो। माथे के ऊपर जब आप चावल लगाते हैं तो ध्यान रहें कि चावल टूटे हुए न हो क्योंकि टूटे हुए चावल शुभ नहीं माने जाते। जब आप अपने भाई की कलाई पर राखी या धागा बांधते हैं तो ध्यान रखना है कि राखी या धागे की गांठ तीन होनी चाहिए। तीन गांठों की बहुत अहमियत है। पहली गांठ भाई की लंबी उम्र और सेहत के लिए बांधी जाती है। दूसरी गांठ भाई की सुख-समृद्धि के लिए बांधी जाती है। तीसरी गांठ रिश्ते को मजबूत करती हैं। ये तीन गांठें ब्रह्मा, विष्णु और महेश को भी सम्बोधित करती हैं।
रक्षाबंधन की कथाएं :-
राखी का यह पर्व पुराणों से होता हुआ महाभारत तक भी प्रचलित है। आइए जानते हैं कथा। दरअसल, राखी से जुड़ा एक प्रसंग महाभारत का भी प्रचलित है। शिशुपाल का वध करते समय श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली में चोट लग गई थी, जिसकी वजह से उनकी उंगली से खून बहने लगा था। खून को रोकने को लिए द्रोपदी ने अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर, श्री कृष्ण की उंगली बांध दी थी। इस ऋण को चुकाने के लिए चीर हरण के समय श्री कृष्ण ने द्रोपदी की मदद करी थी। द्रोपदी ने श्री कृष्ण से रक्षा करने का वचन भी लिया था।
पुराणों के अनुसार जब वामन अवतार लेकर राजा महाबलि को विष्णु भगवान ने पाताल लोक भेज दिया था तब महाबलि ने विष्णु भगवान से भी एक चीज मांगी थी कि वो जब भी सुबह उठें तो उन्हें भगवान विष्णु के दर्शन हों।अब हर रोज विष्णु राजा बलि के सुबह उठने पर पाताल लोक जाते थे। ये देखकर माता लक्ष्मी व्याकुल हो उठीं। तब नारद मुनि ने सलाह दी कि अगर वो राजा बलि को भाई बना लें और उनसे विष्णु की मुक्ति का वचन लें तो सब सही हो सकता है। इस पर मां लक्ष्मी एक सुंदर स्त्री का वेष धरकर रोते हुए बलि के पास पहुंची और कहा कि उनका कोई भाई नहीं है जिससे वे दुखी हैं। राजा बलि ने उनसे कहा कि वे दुखी न हों आज से वे उनके भाई हैं। भाई बहन के पवित्र रिश्ते में बंधने के बाद मां लक्ष्मी ने बलि से उनके पहरेदार के रूप में सेवाएं दे रहे भगवान विष्णु को अपने लिए वापस मांग लिया और इस प्रकार नारायण संकट से मुक्त हुए। इसलिए भी रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का महत्व:-
यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की अटूट डोर का प्रतीक माना जाता है। हिंदू परंपराओं के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के स्नेह के साथ सामाजिक संबंध को मजबूत बनाता है। इस दिन भाई अपने बहन के सभी दायित्वों को निभाने का वचन लेते हैं, तो बहन भी भगवान से अपने भाई की दीर्घायु की कामना करती हैं।