उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के गठन के बाद 2000 में देहरादून के न्यू कैंट रोड स्थित बीजापुर हाउस को अस्थायी रूप से राजभवन बनाया गया। बाद में देहरादून स्थित सर्किट हाउस को राजभवन का दर्जा दिया गया और 25 दिसंबर 2000 को राज्य के पहले राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला इसके प्रथम आवासी बने। आज वही सर्किट हाउस और राजभवन परिसर आधिकारिक रूप से लोक भवन देहरादून कहलाएगा।
ब्रिटिश काल में निर्मित नैनीताल राजभवन की नींव 27 अप्रैल 1897 को रखी गई और मार्च 1900 में इसका निर्माण पूरा हुआ। पश्चिमी गौथिक शैली में अंग्रेजी अक्षर ‘E’ के आकार के इस भवन को ब्रिटिश गवर्नर सर एंटनी पैट्रिक मैकडोनाल्ड ने विकसित कराया था।यह भवन हाल ही में 126वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इसके 125 वर्ष पूरे होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी यहां पहुंचकर इसके ऐतिहासिक महत्व को देख चुकी हैं। ब्रिटिश शासन में नैनीताल को अवध की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी घोषित किया गया था। राजभवन के स्थान समय-समय पर बदलते रहे—1862 में रैमजे अस्पताल परिसर, 1865 में माल्डन हाउस, फिर 1875 में स्नो व्यू क्षेत्र और अंततः 1897 में वर्तमान स्थान पर इसका निर्माण हुआ। करीब 160 एकड़ के जंगलों में बसे इस परिसर में ब्रिटिश शासकों ने 1925 में 75 एकड़ भूमि पर एशिया का सबसे ऊंचा व श्रेष्ठ गोल्फ कोर्स भी तैयार किया था। लंबे समय तक प्रतिबंधित रहने के बाद 1994 में इसे जनता और पर्यटकों के लिए खोल दिया गया।
राज्य सरकार द्वारा दोनों राजभवनों का नाम बदलकर लोक भवन किया जाना, प्रशासनिक पहचान में एक बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है। अब देहरादून और नैनीताल दोनों ऐतिहासिक परिसरों को इसी नए नाम से जाना जाएगा।

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