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संजीव बछेटी - पहाड़ पर रहकर ही कर रहे हैं रोज़गार साथ ही दिला रहे पहाड़ को नई पहचान

शीतल बहुखण्डी 

ये तो सर्वविदित है, उत्तराखण्ड में ख़ासकर पहाड़ी क्षेत्रों में कई वर्षों से पलायन का दंश झेल रहे गाँव अब पुनः आबाद होने लगे हैं। ज्ञात हो कि, वर्तमान में सबसे बड़ी त्रासदी बनकर उभरी कोरोना महामारी का हर किसी पर आर्थिक और मानसिक रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। अपने घरों से दूर रोज़ी रोटी की तलाश ने लोगों को पहाड़ छोड़कर शहरों का रुख करने पर मजबूर कर दिया, अब जबकि कोरोना जैसी घातक महामारी ने लोगों के जमे जमाए धंधे, नौकरियां छीन ली तो विवश होकर लोगों के आगे गाँव वापसी के सिवा अन्य कोई चारा नहीं बचा था। खैर, गाँव वापसी तो हो गई लेकिन समस्या तो अभी भी वहीं खड़ी है। अब रोज़गार कहां से लाएं? 

आपको बता दें कि, पहाड़ी इलाकों से हो रहे निरंतर पलायन का मुख्य कारण था यहां रोजगार कि समुचित व्यवस्था का ना होना। जिस कारण युवकों का रोजगार प्राप्ति हेतु महानगरों का रुख जब अख्तियार करना स्वाभाविक था और उनकी मजबूरी भी। लेकिन कहते हैं ना कि, पंछी चाहे कितना ही दूर क्यूं ना उड़ कर चला जाए, शाम ढले उसे आखिर में तो उसे अपने घरोंदे में आना पड़ता है। ऐसा ही कुछ हुआ है संजीव बछेटी के साथ, तकरीबन 26 वर्षों से वह दिल्ली में रह रहे थे। ख़ास बात तो ये है कि दिल्ली में रहते हुए भी उनका दिलो दिमाग अपने उत्तराखण्ड यानी कि पहाड़ के लिए धड़कता रहा। दिल्ली कि चकाचौंध ज़िंदगी से परे उनका अपने पहाड़ के प्रति प्रेम कभी कम नहीं हुआ, वे हर वक्त उत्तराखण्ड और उसके लोगों का किस तरह से विकास किया जाए ऐसा सोचा करते थे। बस फिर क्या था उनकी यही सोच और उनका खुद पर अटूट विश्वास के दम पर उन्होंने पौड़ी गढ़वाल आकर खांदुसैन में मसालों से संबंधित एक लघु उद्योग की स्थापना की और बताया की यदि व्यक्ति कुछ करने की ठान ले तो पहाड़ जैसे अल्प संसाधनों वाले स्थान पर भी खुशहाली की राह चुन सकता है।

बता दें, काॅंडई पट्टी सितोनस्यू कोट ब्लाॅक जिला पौड़ी निवासी संजीव बछेटी ने अपने मसालों की कंपनी का नाम गढवाल फूड्स और ब्राॅंड का नाम माँजी मसाले रखा है। उनका कहना है की मेरा दिल्ली कनाट प्लेस में खुद का व्यवसाय है पर वें कई सालों से गढ़वाल लौटने क़ी सोच रहे थे और 26 सालों से दिल्ली मे उन्होंने अपने उत्तराखण्ड के लिए कुछ करने की सोच रहे थे तो उन्होंने यशपाल रावत के साथ तय किया कि चलो गाॅंव की ओर, और शुरुवात कर डाली। उनकी इस सोच में उनका साथ कुलबीर नेगी ने दिया और गढ़वाल फ़ूड्स के साथ जुड़कर माँजी मसालों के सेल्स हैड बने हैं।

संजीव बछेटी कहते है की माँजी मसालों की R&D पिछले एक साल से चल रही है। गेम मार्केट में आए अभी दो महीने हो गए है और हमें पौड़ी में बेहतरीन रिसपौंस मिल रहा है और जल्द ही हमारा टार्गेट पौडी में छाना और फिर जल्दी ही पूरे उत्तराखंड में माँजी मसालों को पहुंचाना होगा। गढ़वाल फ़ूड्स के पास लगभग सारे मसाले उपलब्ध है। जैसे - हल्दी पाउडर, गर्म मसाला, दालचीनी, मैंथी दाना आदि। माँजी मसाले एक अच्छी  क्वालिटी के साथ ही  मार्केट रेट से थोड़ा सही दाम में भी उपलब्ध होगा और गुणवता के साथ स्वादिष्ट में भी पसंद किया जा रहा है।

उनके इस स्वरोजगार में उन्होंने अब तक बारह लोगों को रोजगार दिया हैं जिनमें पूर्णिमा बछेटी, किशन जुयाल, नीलम बलूनी, सुरजीत सिंह, अक्षत, परमेश्वरी देवी, रीना देवी, अशोक गुसाईं, हिमांशु कंडवाल माँजी मसालों के साथ जुड़े है और संजीव बछेटी द्वारा जल्द ही कई युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में सफल साबित हों सकेंगे।माँजी मसालों का प्रयास है कि गढ़वाल में उगे प्राकृतिक संसाधनों से मिले मसालों को जन-जन तक पहुंचाया जाए और लोकल खरीदारी को बढ़ावा दिया जाए और लोगों को प्रेरित किया जाए मसालों की खेती के लिये।

जहां कोरोना काल में कहीं युवा बेरोजगार होकर वापस पहाड़ो का रुख करें है तो ऐसे में कोरोनाकाल में घर आए प्रवासियों को स्वावलंबन की राह संजीव बछेटी ने दिखाई है। उन्होंने प्रवासियों के लिए स्वरोजगार के द्वार खोले हैं साथ ही यह संदेश भी दिया है कि पहाड़ में भी रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। जरूरत है तो सिर्फ उन्हें तलाशने की। कुछ एक ऐसे ही लोगों के अथक प्रयासों के बलबूते उत्तराखण्ड में फिर से रोजगार की लहर दौड़ने लगी है।

संजीव बछेटी कहते है की हमारा प्रयास स्वयं को स्थापित करने के अलावा विकलांगों, युवा और विधवा महिलाओं को आपने साथ जोड़ने का है। जिसकी शुरुआत हम चार ऐसे लोगों को जोड़ कर कर चुके है। उनका कहना है कि, अपने मसालों के व्यवसाय को बढ़ावा देने के साथ ही अन्य जगहों में लोगों द्वारा उत्पादित मसालों से संबंधित वस्तुओं को फैक्टरी में बिक्री हेतु ला सकते हैं जिससे वे लोग भी  इस स्वरोजगार से जुड़ सकेंगे।

उत्तर नारी न्यूज़ चैनल उत्तराखण्ड में संजीव जैसे अन्य कई लोगों जिन्होंने अपने पहाड़ प्रेम और उसके लिए कुछ कर गुजरने की हिम्मत और जज्बे को सलाम करता है। जिन्होंने उत्तराखण्ड के पहाड़ों को स्वरोजगार जैसी मुहिम चलाकर रोजगार के अवसर को धरातल पर उतारा कर युवाओं में आत्मविश्वास पैदा किया है, वो वाकई में सराहना के योग्य है।

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