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बुझ गई पहाड़ पर लालटेन, प्रसिद्ध लेखक और कवि मंगलेश डबराल ने एम्स में ली अंतिम सांस

उत्तर नारी डेस्क 

वरिष्ठ कवि और लेखक मंगलेश डबराल का बुधवार शाम को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। 

बता दें, वह बीते कुछ दिनों से कोविड-19 से संक्रमित थे। उनका वसुंधरा के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में आखिरी सांस ली। मंगलेश डबराल काफी सक्रिय रहे हैं। वह अंत समय तक अपने लेखन को जारी रखे हुए थे। उनके कलम हर विषय पर चले चाहे वह राजनीति, समाज, साहित्‍य हो या भाषा हो। बताया जा रहा है कि उनकी आर्थिक स्थिति भी ऐसी नहीं थी कि महंगा इलाज का खर्चा वहन कर सकें। उनकी बेटी अलमा डबराल उनकी देखरेख कर रही थीं।

आपको बताते चले, कि उत्तराखंड में टिहरी गढ़वाल जिले के काफलपानी गाँव में जन्मे लेखक मंगलेश डबराल का जन्म 16 मई 1948 को हुआ था। मंगलेश डबराल समकालीन हिंदी कवियों में सबसे चर्चित नाम था। देहरादून में शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे दिल्ली में पैट्रियट हिंदी, प्रतिपक्ष और आसपास में कुछ दिन काम करने के बाद मध्य प्रदेश चले गए।

जहां मध्य प्रदेश कला परिषद भारत भवन से प्रकाशित साहित्यिक त्रैमासिक पूर्वाग्रह में सहायक संपादक रहे। इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित अमृत प्रभात में भी कुछ दिन नौकरी की और सन 1983 में जनसत्ता में साहित्य संपादक का पद संभाला। कुछ समय सहारा समय में संपादन कार्य करने के बाद आजकल वे नैशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े थे।

इनके दो गद्य संग्रह- लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन भी प्रकाशित हो चुका है और उन्होंने कविता के पांच संग्रह भी प्रकाशित किए है, जिनके नाम हैं- पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो दे गए, जाग रहे एक जग है और नई युग पुरुष शत्रु, गद्य के दो संग्रह लीख की रोटी और कवि के अकलेपन और एक यात्रा डायरी एक।

उत्तराखण्ड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलेश डबराल के निधन पर दुख जताते हुए एक ट्वीट भी किया है। उन्‍होंने इसमें लिखा है कि साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, हिंदी भाषा के प्रख्यात लेखक और समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित श्री मंगलेश डबराल जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।

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