शीतल बहुखण्डी
कहते है अगर ज़िन्दगी की शुरुआत में ही आपको सही रास्ता और सही नज़रिया मिल जाए तो आपका जीवन सफल होता है और ज़िन्दगी की इसी शुरुआत में अगर आपको ऐसे ऊर्जावान शिक्षक मिल जाएं तो आपकी ज़िन्दगी आसान और आपका नजरिया सकारात्मक हो जाता है और ज़िन्दगी एक नया मोड़ ले लेती है। शिक्षक और शिक्षार्थी के बीच का रिश्ता बड़ा ही अनूठा होता है। शिक्षा देने वाला शिक्षक और शिक्षा ग्रहण करने वाला शिक्षार्थी। यह दोनों आने वाले कल का भविष्य निर्धारित करते है। शिक्षा के मानव जीवन में महत्त्व के कारण ही शिक्षक का स्थान भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। शिक्षक वह कबीर का कुम्हार होता है जो शिष्य रूपी कुम्भ को आकार देता है।
जी हाँ, आज हम ऐसे ही शिक्षक आशीष डंगवाल की बात कर रहे हैं जो बेहद सरल स्वभाव, मिलनसार व्यक्तित्व है जो हमेशा अपने कार्यों के चलते सुर्खियों में बने रहते है। यह युवा शिक्षक एक बार फिर अपने नए प्रोजेक्ट के लिए सुर्खियों में बने हुए है। युवा शिक्षक आशीष ने राजकीय इंटर कॉलेज गरखेत टिहरी गढ़वाल के बच्चों के साथ मिलकर प्रोजेक्ट – स्माइलिंग को तैयार किया है।
प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल के सम्बन्ध में आशीष डंगवाल का कहना है कि अब तक जो सरकारी विद्यालयों में संसाधनों के अभाव के चलते नीरसता व्याप्त थी उसे प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल के माध्यम से दूर किया जाने का प्रयास किया जा रहा हैं। प्रोजेक्ट स्माइलिंग स्कूल का एक मात्र उद्देश्य सरकारी विद्यालयों में संसाधनों को पूर्ति कर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों की ही तरह आगे बढ़ने में सहायता करना है। जर्जर होते सरकारी विद्यालयों के परिसर और उसकी दीवारों पर कई प्रकार की ज्ञानवर्धक कहानियों को चित्रण के माध्यम से दर्शाया गया है। जो की स्कूल की पूरी दीवारों को बदल कर एक – मोटिवेशनल और एजुकेशन 3d आर्ट्स पेंटिग्स के द्वारा बच्चों में क्रिएटिविटी की और एक सोच की गयी है जिसमें उत्तराखण्ड के लगभग सभी जिलों से नॉलेजफूल वाक्य चित्रों को दर्शाया गया है। जैसे हाई कोर्ट नैनीताल, गैरसैण राजधानी भवन, केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर, NIM, डोबरा चांटी पुल, चिपको आंदोलन, आईएएस अकादमी मसूरी अन्य कहीं चित्रों को दर्शाया गया है।
साथ ही कई मोटिवेशनल थॉट भी लिखे गए है जिनसे बच्चों की अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो और इस मुहिम में आशीष डंगवाल स्वयं स्कूली बच्चों के साथ मिलजुल कर विद्यालय के सौंदर्यकरण के कार्य में अपना अहम योगदान दे रहे हैं। विद्यालय की दीवारों पर चित्रित अनेको कलाकृतियां अपने आप में अद्भुत है। ऐसा लगता है मानों वे स्वयं बोल रही हो। निसंदेह आशीष डंगवाल की इस अनूठी पहल से दूरदराज अधिकतर पहाड़ी इलाकों में जहां आज भी कई विद्यालय पठन पाठन से लेकर बच्चों के विकास के लिए जरूरी संसाधनों से कोसो दूर है। ऐसे विद्यालयों में बच्चों के बीच इस तरह की गतिविधियां बच्चों में पढ़ाई से लेकर उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए कारगर साबित होगी।
बता दें, उत्तरकाशी में असी गंगा घाटी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भंकोली में तैनात रहे शिक्षक आशीष डंगवाल को उनके किये जा रहे कार्यों के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सम्मानित भी किया है और मुख्यमंत्री रावत ने सीएम आवास में आशीष की हौसला अफजाई भी की है।बताते चलें की रुद्रप्रयाग जिले के श्रीकोट गाँव निवासी 27 वर्षीय आशीष डंगवाल को वर्ष 2016 में राइंका भंकोली में सामाजिक विज्ञान के एलटी शिक्षक के तौर पर पहली नियुक्ति मिली थी। यही कारण है कि जब 3 साल बाद वह स्कूल से विदा ले रहे थे तो गाँव के लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनको विदा किया। इस जुलूस में केवल स्कूली बच्चे और स्कूल स्टाफ ही नहीं था। बल्कि गाँव के बुजुर्ग, पुरुष और महिलाएं भी थीं। पूरा गाँव शिक्षक को विदा करने के लिए निकल पड़ा। गाँव वालों की आंखें नम थी, रुंधे गले से शब्द नहीं निकल रहे थे। ये देख शिक्षक आशीष डंगवाल की भी आंखें भर आईं। अब उनका ट्रांसफर टिहरी के राइंका गरखेत में हुआ है।
उत्तराखण्ड में बहुत से अच्छे शिक्षक है और उन्हीं शिक्षकों में से कुछ आशीष जैसे ऊर्जावान शिक्षक हैं जो तमाम मुश्किलों के बावजूद समाज को नई दिशा दे रहे हैं।