उत्तर नारी डेस्क
आजकल जिस प्रकार के हालात बन रखे हैं उस हिसाब से उत्तराखण्ड के युवाओं को स्वरोज़गार रोजगार अपनाने की तरफ कदम अग्रसर करने चाहिए। सैकड़ों युवा कोरोना काल में इस समय नौकरी से हाथ धो बैठे हैं और गाँव की ओर वापस रुख कर चुके हैं। ऐसे में उनके सामने स्वरोज़गार एक अच्छे विकल्प के तौर पर साबित हो सकता है। आज स्वरोज़गार की ऐसी ही अनोख़ी कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। जिन्होंने स्वरोज़गार अपना कर ओरो को भी प्रेरित किया है।
ख़बर नैनीताल जिले के बैतालघाट गाँव से आई हैं। यहाँ एक युवक ने स्वरोज़गार की एक अनोखी मिसाल समाज के आगे पेश की है। नैनीताल जिले के इस युवक ने बाहर से सलून का काम सीख कर अपने छोटे से गाँव आकर अपना सलून खोला है यह सलून अपने नाम से भी सबको अपनी तरफ आकर्षित करता नज़र आ रहा है। जी हाँ इस सलून का नाम पहाड़ी सलून हैं।
युवक की मेहनत, लगन और हौसले की बदौलत ही उन्होंने पहाड़ में यह लघु उद्योग बनाने की शुरुआत की और सलून का काम शुरू किया। उनका यह कदम आगे जाके पहाड़ों में हो रहे पलायन रोकने के लिए भी एक क्रांती लाने का कदम है जो पहाड़ो में रोजगार के अवसर तो उत्पन्न करेगा ही बल्कि साथ ही ओरो को भी स्वरोज़गार अपनाने की और प्रेरित करेगा।
आपको बताते चलें की पहाड़ो में सुविधाएं कम होती है और हर, तीन गाँव के बाज़ार में एक सलून की जरूरत तो होती ही है। अगर एक सलून में 2 से 3 लोग काम करते हैं, तो इस हिसाब से हर एक गाँव से एक युवक को रोजगार जरूर मिलेगा। इस तरह की पहल ही आर्थिक स्वतंत्रता, पलायन को रोक सकती है और जहां छोटे, कुटीर उद्योग पर बाहरी लोग कब्जा जमा रहे हैं उस पर भी रोकथाम लगेगी और पहाड़ो में भी रोज़गार उतपन्न होने लगेगा।
उत्तर नारी स्थानीय लोगों से अनुरोध करता है कि इस तरह के रोज़गार अपनाएं और उन युवकों को भी सहयोग दें जो नई सोच नया जोश लेकर दूसरों को भी स्वरोजगार की ओर अग्रसर कर रहे है।