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कोटद्वार ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 24 मार्च को आएगा बड़ा फैसला

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले में कोटद्वार व दुगड्डा में क्षेत्र से उठाया जाने वाला कूड़ा खोह नदी के तट पर फेंका जा रहा है, जिससे जहां एक ओर नदी प्रदूषित हो रही है, वहीं कोटद्वार वासियों की तकलीफें भी बढ़ा रहा है। यहाँ से उठने वाले जहरीले धुएं से लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है वहीं इसका पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।  जिसको देखते हुए वर्ष 2019 में वॉल ऑफ काइंडनेस संस्था के संस्थापक मनोज नेगी ने इस संबंध में एनजीटी में वाद दायर किया, जिसके बाद प्राधिकरण ने प्रशासन को 6 माह के भीतर कूड़ा निस्तारण की ठोस व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। लेकिन, प्रशासन ने अगले 1 वर्ष तक इस संबंध में कोई कवायद नहीं की। नतीजा, 2020 में पुन: संस्था ने एनजीटी में दस्तक की, जिसके बाद एनजीटी ने जिलाधिकारी को कूड़ा निस्तारण को लेकर किए गए कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।

वहीं संस्था के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने बताया कि वॉल ऑफ काइंडनेस संस्था के संस्थापक मनोज नेगी की ओर से इस संबंध में एनजीटी में दायर याचिका पर जिलाधिकारी की ओर से रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है, जिस पर 24 मार्च को सुनवाई होनी है। बताया कि रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) बड़ा फैसला सुना सकता है।

आपको बता दें कि एनजीटी को दी गई रिपोर्ट में जिलाधिकारी ने कूड़ा निस्तारण के लिए किए गए तमाम उपायों का जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोटद्वार क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण के लिए 0.998 हेक्टेयर वन भूमि का चयन किया गया है, जिसमें भूमि हस्तांतरण होना शेष है। झंडीचौड़ व गंदरियाखाल में चार स्थानों में कूड़ा निस्तारण के लिए भूमि चयनित की गई है। यहां जल्द ही वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारण कार्य शुरू किया जाएगा। नगर निगम ने खोह नदी के तट पर डाले जा रहे कूड़े के निस्तारण को बायोरेमिडशन मशीन और ट्रोमिल मशीन लगाई गई हैं। कूड़े में लगी आग को तत्काल बुझाने के लिए पांच-पांच हजार लीटर के दो टैंक बनाए गए हैं, जिन पर प्रेशर पाइप लगाए गए हैं।

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